हल्द्वानी की सड़कों से लेकर बाजारों तक घूमने वाले लावारिस गोवंश केवल हादसों के लिए ही जिम्मेदार नहीं हैं, इनसे कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। कारोबारी चाहते हैं कि बाजार क्षेत्र को लावारिस मवेशियों से जल्द मुक्ति दिलाई जाए। इसके लिए सरकार और नगर निगम अपने-अपने स्तर पर ठोस प्रयास करें। उनका कहना है कि लावारिस गोवंश के लिए पर्याप्त गोशालाएं बनाई जाएं ताकि आमजन भी परेशान न हों और व्यापार भी सुगमता से चलता रहे। बाजार की गलियों में इनके झुंड में चलने पर लोग वहां से खरीदारी करने से बचते हैं।बाजार में रोजाना लावारिस जानवरों के झुंड नजर आते हैं। इनके बाजार में आने से कई बार भगदड़ की स्थिति पैदा हो जाती है। सबसे ज्यादा दिक्कतें महिलाओं को होती हैं। यह जानवर हादसों का कारण बन रहे हैं। नगर निगम इस मुद्दे को गंभीरता से ले और ऐसे मवेशियों के लिए आश्रय बनवाए ताकि लोग सुरक्षित रह सकें। – हीरा लाल, साहू, कारोबारी मीरा मार्ग
लावारिस जानवरों के कारण शहर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हादसे बढ़ रहे हैं। रात में जानवर स्पष्ट नजर नहीं आते जिससे दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती हैं। सरकार ऐसे मवेशियों के लिए गोशालाएं बनवाएं। नगर निगम भी अपने स्तर पर इस समस्या का समाधान कराने के लिए प्रयास करे। – गौरव अरोरा, कारोबारी नया बाजार
सरकार को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। यदि सरकार नहीं कर पा रही है तो किसी समिति को जमीन लीज पर देकर बड़ी गोशालाएं बनवाईं जाएं। इसके लिए हमने संगठन की ओर से शासन को पत्र भी भेजा है। लावारिस जानवर हादसों का कारण बन रहे हैं। भुवन भट्ट, महामंत्री सशक्त एकता उद्योग व्यापार मंडल
नगर निगम लावारिस पशुओं को गोशालाओं में पहुंचाए और वहां उनके लिए पर्याप्त व्यवस्था करे। इसके लिए निगम को विशेष अभियान चलाना चाहिए। पशु पालने के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया जाए। जब तक पशु काम के होते हैं, तब तक लोग उन्हें पालते हैं फिर उन्हें लावारिस छोड़ देते हैं। – वीरेंद्र गुप्ता, प्रदेश संगठन प्रभारी प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल।
लावारिस जानवर शहरभर के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। बाजार में इनके झुंड के झुंड चलते हैं। ऐसे जानवरों को सड़कों व बाजारों से हटाया जाना चाहिए ताकि लोगों को दिक्कतें न हों। इससे कारोबार भी पटरी पर दौड़ेगा और हादसे भी नहीं होंगे। नगर निगम को इनकी स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए। – अश्विनी आनंद, कारोबारी नया बाजार
बरसात के चलते लावारिस जानवर सड़क किनारे कीचड़ पर बैठने लगे हैं। इससे हादसे होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। काले सांड तो रात में नजर नहीं आते हैं। हम भी रात को घर जाते हैं तो कई बार सड़क पर लावारिस जानवर मिलते हैं। इनकी उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि हादसों पर रोक लग सके। – यशवंत सिंह रावत, कारोबारी
शहर में आखिर कौन छोड़ रहा गोवंश
हल्द्वानी शहर में मुख्य सड़कों से लेकर बाजारों तक लावारिस गोवंश का जमघट है, जो आए दिन हादसों का कारण बन रहे हैं। यह मवेशी किसके हैं? कौन इन्हें रोज सड़क पर छोड़ता है। रात में यह मवेशी कहां चले जाते हैं नगर निगम के पास इन सवालों का जवाब नहीं है। पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वाले पशुपालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं होने से नगर निगम अमला लाचार है।नगर आयुक्त ऋचा सिंह का कहना है कि निगम में न तो गोवंश का पंजीकरण होता है और न ही निगम क्षेत्र में मौजूद तबेलों (निजी गोशाला) का कोई रिकॉर्ड है। बताया कि कान में टैग लगा होने पर निगम संबंधित गोवंश की सूचना पशुपालन विभाग को देता है। पशुपालन विभाग संबंधित गोवंश स्वामी का चालान करता है। कहा कि निगम सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों को उठाकर उन्हें गोशालाओं में आश्रय देता है ताकि यातायात व्यवस्था बाधित न हो और हादसे न हों। पकड़े जाने वाले अधिकतर गोवंश के टैग नहीं लगा होता है जिससे उसके स्वामी की पहचान नहीं हो पाती है।नगर निगम क्षेत्र में लगभग दो हजार के करीब पालतू पशु हैं। विभाग जब टीकाकरण करता है या फिर पशुगणना होती है, तब पालतू पशुओं के टैगिंग की जाती है। यदि किसी गोवंश के कान में टैग लगा हो तो उससे उसे पालने वाले की जानकारी मिल सकती है। लोग टैग खोलकर या फिर जानवर का कान काटकर उसे सड़कों पर छोड़ रहे हैं। इससे यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि संबंधित पशु किसका है। जब कभी सूचना मिलती है और मौके पर टैग वाला गोवंश मिलता है तो विभाग चालान की कार्रवाई करता है। – डॉ. आरके पाठक पशु चिकित्साधिकारी हल्द्वानी