हल्द्वानी। उत्तराखंड जल संस्थान डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ की कुमाऊं मंडल की आम बैठक में इंजीनियरों के उत्पीड़न का मुद्दा जोरशोर से छाया रहा। कहा, डिप्लोमा इंजीनियर्स पूर्ण मनोयोग से जल जीवन मिशन के कार्य कर रहे हैं लेकिन ठेकेदारों की लापरवाही से काम पूरे नहीं होने पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। बैठक में जेजेएम का कार्य देख रहे उपनल के इंजीनियरों को बहाल करने की भी मांग उठाई गई।बद्रीपुरा स्थित संघ भवन में बुधवार को आयोजित बैठक की अध्यक्षता पंकज उपाध्याय और संचालन वीरेंद्र सिंह मेहता, मोहन सिंह रावत ने किया।
इस दौरान इंजीनियरों ने कहा कि जल संस्थान की विभिन्न शाखाओं में रखरखाव के लिए सामग्री उपलब्ध नहीं है, ऐसे में वनाग्नि व वर्षाकाल में कार्य करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। राज्य के समस्त इंजीनियरिंग वाले विभागों में सामग्री सहित अन्य कार्यों के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती है जबकि संस्थान में सामग्री विभाग मुहैया कराता है। तय हुआ कि यदि इंजीनियरों का उत्पीड़न बंद न किया गया तो वे कार्य बहिष्कार पर जाने के लिए विवश होंगे। बैठक में संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मनोज बर्गली, हरीश चंद्र पंत, ललित मोहन ऐठानी, खगेंद्र जोशी, धीरज मेहता, संदीप आर्या, परमानंद पुनेठा, प्रमोद पांडे, रवींद्र पाठक, धीरेंद्र खर्कवाल, नरेंद्र रिखाड़ी समेत अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, रुद्रपुर, बागेश्वर जिले से आए इंजीनियर मौजूद रहे।