Wednesday, November 5, 2025
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भारत ने मौसम की मार झेल रहे जिम्बाब्वे जाम्बिया और मलावी को भेजी राहत सामग्री

नई दिल्ली। दक्षिण-पूर्वी अफ्रीकी देश अक्सर प्राकृतिक आपदाओं का गवाह बनता है। वर्तमान में देश सूखे का सामना कर रहा है. इससे चलते खाद्य भंडार को नष्ट हो गए। वहां भूखमरी जैसे हालात हैं। लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ समय पहले भारी बारिश के कारण लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने शनिवार को जिम्बाब्वे, जाम्बिया और मलावी को खाद्य सहायता भेजी. एक्स पर एक पोस्ट में जायसवाल ने कहा, ‘भारत ने जिम्बाब्वे को मानवीय सहायता भेजी है. 1000 मीट्रिक टन चावल की एक खेप आज जिम्बाब्वे के लिए न्हावा शेवा बंदरगाह से रवाना हुई। इससे जिम्बाब्वे के लोगों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।’भारत ने जाम्बिया के लोगों की खाद्य और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 1,300 मीट्रिक टन मक्का भी भेजा। एक्स पर एक पोस्ट में जायसवाल ने कहा, ‘जाम्बिया के लोगों के लिए भारत की मानवीय सहायता खाद्यान्न (1300 मीट्रिक टन मक्का) की एक खेप आज जाम्बिया के लिए रवाना हुई। इससे हमारे मित्रवत जाम्बियाई लोगों की खाद्य और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने अल नीनो घटना के कारण उत्पन्न गंभीर सूखे के परिणामों से निपटने के लिए मलावी के लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजी है। एक्स पर एक पोस्ट में जायसवाल ने कहा, ‘मलावी के लोगों के साथ एकजुटता में मानवीय सहायता भेजी गई। अल नीनो घटना के कारण उत्पन्न गंभीर सूखे के परिणामों से निपटने के लिए 1000 मीट्रिक टन चावल की एक खेप आज मलावी के लिए रवाना हुई। एल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर में जलवायु पैटर्न हैं जो दुनिया भर के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं। अल जजीरा के अनुसार इससे पहले 26 अप्रैल को तंजानिया में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन के परिणामस्वरूप कम से कम 155 लोगों की जान चली गई। गुरुवार को संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री कासिम मजालिवा ने कहा कि एल नीनो जलवायु पैटर्न के कारण वर्तमान मौसम और भी खराब हो गया है. इसके परिणामस्वरूप बाढ़ आई है तथा सड़कें, पुल और रेलमार्ग नष्ट हो गए हैं। माजालिवा ने कहा, ‘देश के विभिन्न भागों में भारी अल नीनो बारिश, तेज हवाओं, बाढ़ और भूस्खलन के कारण काफी नुकसान हुआ है।

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