Sunday, September 21, 2025
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राज्य कर विभाग जांच में अफसरों की मिलीभगत साबित प्रक्रिया निरस्त 28 करोड़ के कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीद में खेल

उत्तर प्रदेश में राज्य कर विभाग में 28 करोड़ रुपये की कम्प्यूटर-प्रिंटर की खरीद में अनियमितताओं की शिकायतों के बाद प्रमुख सचिव राज्य कर के निर्देश पर शासन ने पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। इन शिकायतों की गोपनीय जांच में पाया गया कि कुछ खास फर्मों को उपकृत करने के लिए विशेष क्लॉज जोड़ दिए गए। जांच में इन फर्मों से विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है। राज्य कर विभाग में कम्प्यूटरों और प्रिंटरों का संकट दूर करने के लिए पिछले साल प्रत्येक जोन को 20-20 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। इसमें गड़बड़ी की ढेरों शिकायतें आ गईं। प्रमुख सचिव एम. देवराज ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया और पारदर्शिता के लिए पूरी खरीद सेंट्रलाइज्ड कर दी। निविदा के लिए एक कमेटी बनी। गोपनीय जांच में पाया गया कि विभाग और एनआईसी के एक अधिकारी ने दो वेंडरों को लाभ पहुंचाने के लिए सभी बाधाएं दूर कर दीं। इसी आधार पर मई-जून में टेंडर निकाल दिया गया।

दो फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए जोड़े तकनीकी मानदंड
इसमें भी तमाम शिकायतें आ गईं। जिसमें कहा गया कि टेंडर में प्रिंटर से संबंधित कुछ ऐसी चीजें जोड़ी गई हैं, जो केवल चुनिंदा कंपनियों को ही पात्र बना रही हैं। अब जिसे ये कंपनियां पत्र देतीं, वहीं टेंडर में हिस्सा लेने का पात्र होता। लखनऊ और एनसीआर की दो फर्मों के नाम पूरे खेल में सामने आए। शिकायतें उच्च स्तर पर गईं तो प्रमुख सचिव ने संज्ञान लेते हुए निविदा को निरस्त करने के आदेश कर दिए। अगर इन्हें निरस्त न किया जाता तो सरकार को कम से चार करोड़ का नुकसान संभावित था।

अब निविदा प्रक्रिया से होगी खरीद
अब डेस्कटॉप और यूपीएस के साथ-साथ प्रिंटर खरीद भी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से ही होगी। विभागीय आवश्यकता और बड़े ऑर्डर की संख्या को देखते हुए डेस्कटॉप की खरीद 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक मात्रा में रखने का निर्देश दिया गया है। प्रिंटर से जुड़े तकनीकी मानदंड भी तय कर दिए गए हैं। यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में आईटी उपकरणों की खरीद के लिए किसी भी प्रकार के टेंडर में 60-40 फीसदी बिड की व्यवस्था अपनाई जाएगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इस आदेश के साथ आईटी उपकरणों की खरीद में तकनीकी मानकों के पालन की सख्त हिदायत दी गई है।

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