Thursday, November 6, 2025
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जल संस्थान ने अवैध रूप से बोरिंग लगाने वालों को थमाए 153 नोटिस

जल संस्थान की ओर से शुरुआती तौर पर यह कार्रवाई निजी ट्यूबवेल, होटल, रेस्टोरेंट, कॉम्प्लेक्स, वेडिंग प्वाइंट आदि पर की गई है। इन स्थानों पर बिना अनुमति बोरिंग कर पानी का प्रयोग किया जा रहा था। पेयजल के नाम पर शहर में कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। निजी स्थान पर ट्यूबवेल लगाकर महंगी कीमत पर पानी बेचा जा रहा है। जल संस्थान ने अवैध रूप से बोरिंग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की कवायद शुरू कर दी है। संस्थान की ओर से बिना अनुमित बोरिंग लगाने वाले 153 को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह कार्रवाई कुमाऊं तथा गढ़वाल जल (संग्रह, संचय तथा वितरण) अधिनियम-1975 के तहत की गई है। बोरिंग की अनुमति भी नहीं ली जा रही है। यही नहीं बड़े-बड़े होटल, रेस्टोरेंट, कॉम्प्लेक्स और वेडिंग प्वाइंट संचालक भी निजी बोरिंग की अनुमति नहीं ले रहे हैं। इसके अलावा ऐसे घरों में निजी बोरिंग खुलेआम करवाई जा रही है जहां पर जल संस्थान की पेयजल लाइन उपलब्ध है। उधर दिन प्रतिदिन बढ़ रही प्रचंड गर्मी जल संकट को दोगुना कर रही है।

यहां जारी किए नोटिस
अवैध बोरिंग के लिए जल संस्थान ने उत्तर शाखा में 10, दक्षिण शाखा में 88 और पित्थूवाला में 55 यानी कुल 153 नोटिस जारी किए गए हैं। यह सभी नोटिस निजी ट्यूबवेल, होटल, रेस्टोरेंट, कॉम्प्लेक्स, वेडिंग प्वाइंट आदि में अवैध रूप से जल दोहन करने पर दिए गए हैं।

क्या कहता है एक्ट
कुमाऊं तथा गढ़वाल जल (संग्रह, संचय तथा वितरण) अधिनियम-1975 की धारा 6 के तहत कोई भी व्यक्ति उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर अध्यादेश 1975 के अधीन परगनाधिकारी (एसडीएम) की अनुमति के बिना किसी भी जलस्रोत से पानी नहीं निकाल सकेगा। इसके बाद भी शहर में अवैध बोरिंग की जा रही हैं। वहीं, 18 (2) के मुताबिक इस अधिनियम के उल्लंघन पर 500 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

अगर पेयजल लाइन है तो बोरिंग की जरूरत नहीं
जल संस्थान के महाप्रबंधक डीके सिंह ने बताया कि 1975 में बने इस एक्ट में लिखा है, कोई व्यक्ति अगर निजी बोरिंग करता है तो उसे एसडीएम की अनुमति लेनी पड़ेगी। यदि व्यक्ति बोरिंग करना चाहता है और वहां पर जल संस्थान की पेयजल लाइन उपलब्ध नहीं है, ऐसे में जल संस्थान जब कहेगा कि उसे बोरिंग से कोई आपत्ति नहीं है, तब एसडीएम अनुमति देगा। अगर किसी जगह से जल संस्थान की पेयजल लाइन उपलब्ध है तो नजदीकी घरों में निजी बोरिंग की अनुमति नहीं मिलती है। हकीकत तो यह है कि निजी घरों की ओर से बोरिंग की अनुमति ही नहीं ली जा रही है।

घरों पर भी हो सकती है कार्रवाई
इस एक्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति घर में भी बोरिंग कर रहा है तो उसे अनुमति की आवश्यकता होती है। हालांकि देहरादून में अधिकतर घरों में निजी बोरिंग है लेकिन किसी ने बोरिंग की अनुमति नहीं ली है। जल संस्थान की ओर से इनपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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