देहरादून, 24 नवंबर: गुरु तेग बहादुर के बलिदान दिवस के अवसर पर गांधीग्राम स्थित गुरुद्वारा तेज बहादुर में एक भव्य कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने गुरु जी के महान जीवन और उनके अनुपम बलिदान को याद किया। पवित्र कीर्तन की ध्वनि से संगत भावविभोर हो उठी।
इस अवसर पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने गुरुद्वारे में मत्था टेका और श्रद्धालुओं को संबोधित किया। उन्होंने गुरु तेग बहादुर के बलिदान को नमन करते हुए कहा कि सिख पंथ के नौवें गुरु ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
गुरु तेग बहादुर के बलिदान का स्मरण
सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि जब कश्मीरी पंडितों ने धर्मांतरण के जबरन प्रयासों के खिलाफ गुरु जी से सहायता मांगी, तो उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के सामने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए आवाज उठाई। औरंगजेब के प्रलोभन और धमकियों को अस्वीकार करते हुए गुरु तेग बहादुर ने सत्य और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इस अद्वितीय त्याग के लिए उन्हें “हिंद की चादर” कहा जाता है।
उन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के महान बलिदान का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि खालसा पंथ की स्थापना से लेकर अपने परिवार का सर्वस्व बलिदान देने तक, गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया।
श्रद्धालुओं की उपस्थिति
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। प्रमुख उपस्थितियों में जगदीश धीमान, दलबीर सिंह कलर, अशोक गोलानी, कुलदीप जखमोला, आशुतोष द्विवेदी, हरप्रीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, कुलविंदर सिंह, और अमनदीप सिंह का नाम उल्लेखनीय है।
गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने सभी श्रद्धालुओं का धन्यवाद व्यक्त करते हुए गुरु तेग बहादुर जी के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।