Sunday, September 21, 2025
Google search engine
Homeखास खबरमहामारी विशेषज्ञ से जानिए कितना खतरनाक है फैल रहा वैरिएंट हफ्ते भर...

महामारी विशेषज्ञ से जानिए कितना खतरनाक है फैल रहा वैरिएंट हफ्ते भर में ही कोरोना ने बढ़ा दी टेंशन

कोरोना का खतरा दुनियाभर में एक बार फिर से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। इस नई लहर का प्रकोप एशियाई देशों में सबसे ज्यादा है। हांगकांग-सिंगापुर और चीन के कई हिस्सों से शुरू हुई कोरोना की ये लहर अब भारत में भी दस्तक दे चुकी है। 22 मई, गुरुवार तक देश में कुल 257 एक्टिव केस हैं। दुनिया के कई हिस्सों में जिस तरह से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, इसे देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में भी लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए उपाय करते रहने की सलाह दी है।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 12 मई से 19 मई के बीच सप्ताह में 164 नए कोविड मामले दर्ज किए गए, जिससे देश में कुल सक्रिय मामले 257 हो गए। केरल में सबसे अधिक 95 मामले हैं, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 69 मामलों की वृद्धि है। इसके बाद तमिलनाडु में 66 और महाराष्ट्र में 56 मामले हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कोरोना के नए मामलों में वृद्धि हुई है, हालांकि यहां स्थिति काफी नियंत्रित है।

ओडिशा में ढाई साल बाद कोविड-19 का मामला सामने आया
देश के सभी राज्यों को कोरोना के मामलों को लेकर अलर्ट किया गया है। गुरुवार को सामने आई जानकारियों के मुताबिक ओडिशा में ढाई साल के अंतराल के बाद कोविड-19 का एक नया मामला सामने आया है। मरीज की हालत स्थिर है।स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव एस अश्वथी ने कहा, “फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है लेकिन चिंता की बात यह है कि संक्रमित व्यक्ति को कई अन्य बीमारियां भी हैं। उन्होंने कहा कि अब तक न तो केंद्र सरकार और न ही राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने कोविड-19 संक्रमण पर कोई सलाह जारी की है। स्वास्थ्य विभाग को स्थिति पर नजर रखने के लिए कहा गया है और हम सतर्क हैं।स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के छिटपुट मामले सामने आ रहे हैं और मरीज हल्के स्ट्रेन से संक्रमित पाए जा रहे हैं, जिसके गंभीर होने की संभावना बहुत कम है। हमें चिंता करने की कोई बात नहीं है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।

वायरस का प्रभाव हल्का
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि प्रारंभिक आकलन से पता चलता है कि हाल के मामले ज्यादातर हल्के हैं, महाराष्ट्र में दो लोगों की मौत जरूर रिकॉर्ड की गई है हालांकि उनको पहले से ही कोमोरबिडिटी थी। ये पुष्टि नहीं है कि मौत कोरोना की वजह से हुई है या फिर उनकी बीमारी के कारण।मेडिकल रिपोर्ट्स पर गौर करें तो पता चलता है कि दुनियाभर में एक बार फिर से बढ़ते संक्रमण के मामलों के लिए ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। JN.1 प्रमुख वैरिएंट है, इसके अलावा कुछ हिस्सों में LP.8.1 वैरिएंट के कारण भी प्रकोप देखा जा रहा है। भारत में भी JN.1 को ही प्रमुख वैरिएंट माना जा रहा है।

महामारी विशेषज्ञ से जानिए कैसी है JN.1 वैरिएंट की प्रकृति
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गांधीनगर गुजरात में संक्रामक रोग-महामारी विशेषज्ञ डॉ अनीश सिन्हा बताते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने JN.1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया है। इसका मतलब है कि वायरस की इस प्रकृति को समझा जा रहा है, ये ज्यादा गंभीर नहीं है। चूंकि JN.1 भी ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक रूप है और ओमिक्रॉन पिछले एक-दो साल से दुनियाभर में मुख्य कोरोना वैरिएंट है। ओमिक्रॉन और इसकी प्रकृति ज्यादा खतरनाक नहीं रही है, पर इसे शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा देकर संक्रमण फैलाने वाला पाया गया है। JN.1 भी ज्यादा चिंताजनक नहीं है पर कोमोरबिडिटी के शिकार, बच्चों-बुजुर्गों को इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

बचाव के उपाय करते रहना जरूरी
बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। ऐसे लोगों के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना ही एकमात्र सावधानी है। हाथ की स्वच्छता बनाए रखना, मास्क पहनना और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए। JN.1 में कुछ अतिरिक्त परिवर्तन (म्यूटेशन) देखे गए हैं जो इसे शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देकर संक्रमण फैलाने के लिए योग्य बनाते हैं, इसकी गंभीरता कम है। ओमिक्रॉन और इसके अन्य वैरिएंट्स से संक्रमित लोगों को मुख्यरूप से सूखी खांसी, नाक बहना या बंद होने, सिरदर्द, गले में खराश, बुखार और थकावट होने,स्वाद या गंध का न महसूस होने के साथ पाचन की दिक्कत हो सकती है।

अस्वीकरण: हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments