Monday, September 22, 2025
Google search engine
Homeखास खबरजानिए शुभ मुहूर्त महाकाल मंदिर और शेयर बाजार में इस दिन मनाई...

जानिए शुभ मुहूर्त महाकाल मंदिर और शेयर बाजार में इस दिन मनाई जाएगी दिवाली

देश के विभिन्न भागों में इस वर्ष में दिवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी. धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। दिवाली से पहले, हर शाम घर के अंदर और बाहर छोटे-छोटे मिट्टी के दीयों से भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रोशनी की जाती है। दिवाली के दौरान, देवी लक्ष्मी की पूजा उचित रीति-रिवाजों से की जाती है और धन की देवी के लिए प्रकाश और सफाई पर बहुत जोर दिया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है। आचार्य दीप कुमार ने बताया, “हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व है और इनमें उदया तिथि का खास महत्व है। उदया तिथि के अनुसार ही सभी त्योहार मनाए जाते हैं. 1 नवंबर को ही उदया तिथि अमावस्या है। तो ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए दिवाली का त्यौहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा।” द्रिक पंचांग के अनुसार भी दिवाली 1 नवंबर को है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज- NSE ने 1 नवंबर को दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग की घोषणा की है।

महाकाल की मंदिर प्रबंधन समिति ने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का निर्णय लिया है. 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 12 मिनट पर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी। जो एक नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में हुआ था और इसी समय माता लक्ष्मी की पूजा करने से वह स्थिर रहती हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल 31 अक्टूबर को ही मिल रहा है। तो ऐसे में प्रदोष काल को ध्यान में रखते हुए दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा.” जो लोग उदया तिथि को नहीं मानते हैं वो 31 अक्टूबर को दिवाली मनायेंगे। वहीं 1 नवंबर को उदया तिथि मानने वाले दीपोत्सव मनायेंगे।

शुभ मुहूर्त। आचार्य दीप कुमार के अनुसार 31 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 25 से रात 8 बजकर 20 मिनट तक पूजा का समय रहेगा। इस दौरान लोग माता लक्ष्मी व गणपति का पूजन कर सकते हैं। आचार्य दीप कुमारने बताया कि मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव (उत्पत्ति) भी प्रदोष काल में हुआ था और इसी समय मां लक्ष्मी का पूजन करने से वह स्थिर रहती हैं।ऐसे में प्रदोष काल में वृषभ लग्न में महालक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके अलावा तंत्र-मंत्र साधना के लिए निशीथ काल ज्यादा लाभकारी माना गया है। 31 अक्टूबर की रात 11:39 से लेकर 12:31 मिनट तक निशिथ काल रहेगा, यह समय भी पूजा के लिए उपयुक्त रहेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments