बागेश्वर। सीतापुर नेत्र चिकित्सालय एक समय में जिले का एकमात्र और विश्वसनीय नेत्र चिकित्सालय माना जाता था। वर्ष 1986 तक अस्पताल किराये के भवन में संचालित होता था। 1987 में जिला अस्पताल के समीप ही नेत्र चिकित्सालय का नया भवन बनाया गया। हालांकि धीरे-धीरे वित्तीय समस्याओं के चलते अस्पताल को संचालित करने में दिक्कत आने लगी। पिछले 10-12 साल से हालात अधिक बिगड़ गए थे।करीब 50 साल से जिले में संचालित हो रहा सीतापुर नेत्र चिकित्सालय बंद होने की कगार पर है। अस्पताल में ताला लग चुका है। भविष्य में अस्पताल संचालित होगा या नहीं, इसको लेकर प्रबंध कमेटी ही अंतिम फैसला करेगी। अस्पताल में चिकित्सक नहीं था। उपकरण भी खराब हो गए थे। हालत यह हो गई कि अस्पताल का संचालन करना भी मुश्किल हो गया। बुधवार को विधायक सुरेश गढि़या और वरिष्ठ नागरिक जन कल्याण समिति ने अस्पताल संचालन के लिए वित्तीय मदद करने की बात कही थी लेकिन वह नाकाफी थी।
कोट-अस्पताल में तैनात एकमात्र कार्मिक का वेतन निकालना भी मुश्किल हो गया था। उसके काम करने से मना करने पर अस्पताल में ताला लटकाना पड़ा है। मैं उपकरणों की मरम्मत कराने ले गया हूं। फिलहाल अस्पताल अस्थायी रूप से बंद है। अस्पताल की परेशानियों को प्रबंध कमेटी के सामने रखा जाएगा। अगर सरकार आर्थिक मदद करे तो अस्पताल का संचालन किया जा सकेगा। ऐसा नहीं होेने की स्थिति में कमेटी ही अंतिम निर्णय करेगी। – डीके शर्मा, प्रबंधक इंजीनियर, संपत्ति कार्यालय, सीतापुर नेत्र चिकित्सालय।