Sunday, September 21, 2025
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व्यस्ततम चौराहों से गायब जेब्रा क्रॉसिंग भीड़ और वाहनों से पटी देहरादून की सड़कें

देहरादून। भीड़भाड़ वाली जगहों पर जेब्रा क्रॉसिंग बहुत जरूरी होती है। बिना जेब्रा क्रॉसिंग के कहीं से भी रोड पार करना खतरनाक साबित हो सकता है। इसके लिए इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है, मगर राजधानी देहरादून के अधिकांश मार्गों पर जेब्रा क्रॉसिंग मौजूद नहीं हैं। कुछ एक जगहों पर ज़ेब्रा क्रॉसिंग बनी तो हैं, मगर वो भी सिर्फ दिखावे के लिए बनी लगती हैं। ज़ेब्रा क्रॉसिंग की वास्तविक स्थित के लिए ईटीवी भारत ने राजधानी के कई चौक चौराहों का दौरा किया। इसमें क्या कुछ निकलकर सामने आया, आइये आपको बताते हैं। देहरादून शहर के तमाम महत्वपूर्ण चौकों पर जेब्रा क्रॉसिंग की स्थिति का जायजा लिया। ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार दिलाराम चौक समेत कई चौक चौराहों जेब्रा क्रॉसिंग देखने को मिली, मगर इन जगहों पर जेब्रा क्रॉसिंग के उपर डिवाइडर बनाया गया है। इसके चलते यह जेबरा क्रॉसिंग मात्र दिखावे के लिए है।

दून अस्पताल चौक पर जेब्रा क्रॉसिंग गायब। देहरादून शहर के दो चौक काफी महत्वपूर्ण हैं, जहां जेब्रा क्रॉसिंग ही नहीं बनाए गए हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण दून अस्पताल चौक है। इस चौक के पर सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच बड़ी संख्या में लोग पैदल आवाजाही करते हैं। साथ ही इस दौरान वाहनों का दबाव भी इस चौक पर काफी अधिक रहता है। इसकी मुख्य एक तरफ दून अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग, दूसरी तरफ नई ओपीडी बिल्डिंग है। ऐसे में मरीज और तीमारदारों को पैदल सड़क क्रॉस करनी पड़ती है, लेकिन इसके बाद भी यहां कोई ज़ेब्रा क्रॉसिंग नहीं बनाई गई है. इतना ही नहीं यहां रेड लाइट तक मौजूद नहीं है।

लैंसडाउन चौक पर न जेब्रा क्रॉसिंग, न रेड लाइट। इसी तरह लैंसडाउन चौक पर भी पैदल आवाजाही काफी अधिक होती है. लैंसडाउन चौक से ही इंदिरा मार्केट शुरू होता है. इसके अलावा रविवार के दिन लैंसडाउन चौक के चारों तरफ दुकानों का जंजाल फुटपाथों पर लग जाता है. जिसके चलते न सिर्फ ट्रैफिक बाधित होता है बल्कि पैदल आवाजाही करने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके बाद भी इस चौक पर ना ही ट्रैफिक लाइट है और ना ही जेब्रा क्रॉसिंग बनाया गया है.

घंटाघर चौक पर जेब्रा कॉसिंग का इस्तेमाल नही। घंटाघर चौक देहरादून की व्यस्त चौराहा है. इसके सामने पलटन बाजार है. इस चौक पर हमेशा ही भीड़ रहती है। वाहनों की दबाब भी काफी ज्यादा होता है. घंटाघर चौक पर जेबरा कॉसिंग बनाई तो गई है, मगर यहां इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। राहगीर के साथ ही वाहन चालक भी इसकी गाइडलाइन फॉलो नहीं करते हैं। इसका दूसरा कारण जेबरा कॉसिंग को लेकर जागरुकता की कमी भी है. जिसके बारे में अभियान चलाने की जरूरत है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी। जेब्रा क्रॉसिंग पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जेब्रा क्रासिंग के जरिये ट्रैफिक को बेहतर तरीके से रेगुलेट किया जा सकता है। ऐसे में सभी जिलों में एसपी और एसपी ट्रैफिक से इसके लिए बातचीत की जा रही है। उन्हें जहां भी जेब्रा क्रॉसिंग की जरूरत है। वहां इसे बनाने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही इसकी प्रैक्टिकली उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए बनाये जाने के लिए भी कहा गया है।

क्यों जरूरी है जेब्रा क्रॉसिंग। जेब्रा क्रॉसिंग से सड़क पर दुर्घटना की आशंका नहीं रहती है। इसके होने से वाहन चालक और सड़क पर चलने वालों के बीच कोई कन्फ्यूजन नहीं होता है। जेब्रा क्रॉसिंग राहगीरों की सेफ्टी के लिए बनाई जाती है। जेब्रा क्रॉसिंग का साफ साफ मतलब वाहन की कम स्पीडिंग से है। जहां भी जेब्रा क्रॉसिंग होती है। वहां चालक को दूर से ही वाहन की स्पीड कम करनी होती है. अगर कोई जेब्रा क्रॉसिंग पर चल रहा है। तो वाहन चालक को रुकना होता है।

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