Monday, September 22, 2025
Google search engine
Homeउत्तराखण्डइंद्रानगर में मंगसीर बग्वाल: रवाई-जौनपुर की झलक ने खींचा ध्यान

इंद्रानगर में मंगसीर बग्वाल: रवाई-जौनपुर की झलक ने खींचा ध्यान

हमारी संस्कृति हमारी पहचान: सूर्यकांत धस्माना

देहरादून: उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सहेजने का संदेश देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने मंगसीर बग्वाल के अवसर पर इंद्रानगर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “हमारे पहाड़ के कौथीग (मेले) और परंपरागत त्योहार हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं। इन्हें जीवंत बनाए रखना हमारा कर्तव्य है, और इसके लिए सभी को तन-मन-धन से इन आयोजनों में भाग लेना चाहिए।”

यह कार्यक्रम आवासीय कल्याण समिति, शास्त्रनगर फेज़ 2 द्वारा आयोजित किया गया था। मौके पर यमुना घाटी के लोग बड़ी संख्या में जुटे और ‘बूढ़ी दिवाली’ मनाने की अनूठी परंपरा का उत्सव मनाया।

गढ़वाल की विजय से जुड़ी परंपरा
सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि मंगसीर बग्वाल, दीपावली के एक महीने बाद, उत्तराखंड के कई हिस्सों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे गढ़वाल की सेना की तिब्बत पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। रवाई घाटी में यह त्योहार विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि टिहरी क्षेत्र में इसे गुरु केलापीर के साथ जोड़कर मनाने की परंपरा है।

ढोल-दमाऊ की थाप पर ‘भैलो’ खेलने और पारंपरिक नृत्यों का आनंद इस त्योहार को खास बनाता है। धस्माना ने कहा, “आज यहां इंद्रानगर में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे पूरा जौनसार-बावर और यमुना घाटी इस उत्सव में उतर आई हो।”

सम्मान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रदीप उनियाल, सचिव नरेश कथूरिया और कोषाध्यक्ष देव सिंह परवाल समेत अन्य पदाधिकारियों ने श्री धस्माना को शॉल, स्मृति चिन्ह, और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश रावत, संदीप मुंडिया, सुनील घिल्डियाल, और पंकज छेत्री ने भी उपस्थिति दर्ज कराई।

कार्यक्रम में चैतन्य टेक्नो स्कूल की प्रधानाध्यापिका श्रीमती पद्मा भंडारी को भी सम्मानित किया गया।

लोक गीतों और नृत्य का उत्सव
प्रसिद्ध गढ़वाली गायिका मंजू नौटियाल के गीत “सुर्तू मामा” पर महिलाएं और युवा जमकर झूमे। देर रात तक ‘भैलो’ और पारंपरिक जौनसारी, जौनपुरी और गढ़वाली नृत्य का आयोजन हुआ, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखने का आह्वान

सूर्यकांत धस्माना ने उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोने की जरूरत पर बल दिया और समाज को इन आयोजनों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments