मम्मी-पापा से बात नहीं हो पा रही है। बता देना सब ठीक है, कल बात करूंगा। सिक्किम में भूस्खलन में बलिदान हुए पीलीभीत के हवलदार लखविंदर सिंह (38) ने शनिवार को पत्नी को भेजे गए आखिरी ऑडियो संदेश में ये बातें कही थीं। किसी को क्या पता था कि उनकी यह इच्छा कभी पूरी न हो सकेगी और तिरंगे में लिपटा हुआ उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा। सोमवार शाम उनके बलिदान होने की खबर मिली तो पिता गुरुदेव सिंह ने किसी तरह खुद को संभाला, लेकिन पत्नी रुपिंदर कौर और मां गुरमीत कौर बेसुध हो गई।
कलीनगर तहसील के गांव धुरिया पलिया निवासी लखविंदर के चाचा सेवानिवृत्त फौजी जसवीर सिंह ने बताया कि वह बेटी के जन्म से पहले 50 दिन की छुट्टी पर घर आए थे। बेटी के जन्म के बाद 20 अप्रैल को ड्यूटी पर गए थे। उन्होंने बताया कि सिक्किम में नेटवर्क की दिक्कत होने के कारण लखविंदर से संपर्क नहीं हो पा रहा था। शनिवार को रुपिंदर को ऑडियो संदेश भेजकर उन्होंने अपना हाल बताया था। इसमें कहा था कि यहां सब ठीक-ठाक है। मम्मी-पापा से बात नहीं हो पा रही। कहना कल बात करूंगा।
ढांढस बंधाने वाले भी बिलख पड़े
लखविंदर के बलिदान होने की खबर पाकर ग्रामीण और सगे-संबंधी दिनभर परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचते रहे। पत्नी और मां का हाल देख लोग अपने आंसू न रोक सके। सात साल का बेटा एकमजोत भी पिता को याद कर बिलखता रहा। जसवीर सिंह ने बताया कि लखविंदर का पार्थिव शरीर बुधवार को गांव लाया जाएगा।
तीन साल में दो भाई बलिदान
बचपन में साथ खेले, पढ़े और देश सेवा का संकल्प लिया। चचेरे भाइयों मनतेज और लखविंदर ने एकसाथ तैयारी की। एक ने एसएसबी और दूसरे ने सेना से जुड़कर देशसेवा शुरू की। 2023 में अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान तहेरे भाई मनतेज सिंह बलिदान हुए थे। अब लखविंदर सिक्किम में बलिदान हो गए।