एक मां के अटूट प्रेम और चिकित्सकों के असाधारण कौशल की यह कहानी प्रेरणादायक है। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (हिम्स) जौलीग्रांट में, जहां जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे एक बेटे को उसकी मां के किडनी दान से नया जीवन मिला है। युवक न केवल किडनी फेलियर का शिकार था, बल्कि उसके फेफड़ों में जानलेवा एस्परगिलोसिस फंगल संक्रमण भी फैल चुका था। उत्तरकाशी निवासी नीरज (32) 2022 में सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर जौलीग्रांट अस्पताल पहुंचे थे। जांच में पता चला कि वह हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी एंड-स्टेज किडनी डिजीज से पीड़ित हैं। जिसके बाद हीमोडायलिसिस शुरू हुआ। नीरज की मां ने अपनी किडनी बेटे को देने का निर्णय लिया।आईसीयू में निरंतर निगरानी, उन्नत एंटीफंगल थेरेपी और आयुष्मान योजना की सहायता के साथ नीरज का संक्रमण ठीक हुआ। नीरज को उनकी मां की ओर से दी गई किडनी का सफल प्रत्यारोपण किया गया। अब नीरज का क्रिएटिनिन स्तर सामान्य है। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि आयुष्मान कार्ड से पहाड़ और मैदान दोनों मरीजों को अस्पताल में बेहतर इलाज मिल रहा है। टीम में डॉ. विकास चंदेल, डॉ. शाहबाज अहमद, डॉ. सुशांत खंडूड़ी, डॉ. शिखर अग्रवाल, डॉ. राजीव सरपाल, डॉ. निधि, डॉ. अमित चौहान शामिल रहे।
मां ने किडनी देकर बचाई बेटे की जान
RELATED ARTICLES







