कानून तक पहुंचने का रास्ता अब आसान नहीं रहा। शहर और आसपास के गांवों में पुलिस थाने और पुलिस चौकियां तो हैं लेकिन सीमांकन ऐसा कि लोगों को अपनी फरियाद लेकर कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। वो भी तब जब रास्ता जंगलों से होकर गुजरता है या रात का अंधेरा साथ चलता है।शहर में कोतवाली, थाने और चौकियों की संख्या बढ़ी जरूर है लेकिन सही परिसीमन नहीं होने के कारण नागरिकों की सुविधाएं पीछे छूट गई हैं। फरियादी के घर से थाना अक्सर सिर्फ नक्शे पर नजदीक होता है, हकीकत में नहीं। कई इलाकों के लोगों को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए 8 से 10 किलोमीटर तक की दौड़ लगानी पड़ती है।इस वजह से पुलिस को भी घटनास्थल पर पहुंचने में समय लगता है। गौलापार, अमृतपुर, जज फार्म, दमुवाढूंगा और तल्ली हल्द्वानी जैसे इलाकों में यही कहानी रोज दोहराई जा रही है।
गौलापार वालों का दर्द
गौलापार के 50 से अधिक गांव चोरगलिया थाने के अधीन हैं। बसंतपुर से चोरगलिया थाने तक करीब 10 किमी का रास्ता घने जंगल से होकर जाता है। रात में किसी वारदात के बाद ग्रामीणों को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए न सिर्फ हिम्मत जुटानी पड़ती है बल्कि अपनी जान का भी जोखिम उठाना पड़ता है। इनकी निकटतम चौकी कुंवरपुर में है लेकिन बड़े मामलों में केस दर्ज कराने चोरगलिया जाना लोगों की मजबूरी है।
जंगल के पार है थाना
रानीबाग के अमृतपुर-जमरानी बांध क्षेत्र के लोग भीमताल थाने से जुड़े हैं। थाना करीब 17 किमी दूर है जबकि यहां के रहने वालों के लिए काठगोदाम थाना सबसे नजदीक पड़ता है। जंगल वाला मार्ग होने के चलते यहां से रात में थाने का सफर और भी खतरनाक हो जाता है। इन इलाकों की चौकी भी करीब पांच किमी दूर सलड़ी में है।
बेमतलब की दाैड़
जज फार्म, रूपनगर, जेकेपुरम, बसंत विहार जैसे क्षेत्र हल्द्वानी कोतवाली से महज दो किमी की दूरी पर हैं लेकिन प्रशासनिक सीमांकन ने इन्हें मुखानी थाना क्षेत्र में डाल रखा है। यहां के लोगों को शिकायत दर्ज कराने के लिए चार किमी दूर जाना पड़ता है। हीरानगर चौकी भी पास है लेकिन सुनवाई नहीं होती।
समय की बर्बादी
दमुवाढूंगा के कई वार्ड काठगोदाम थाने के अंतर्गत आते हैं जबकि यहां से कोतवाली की दूरी तीन किलोमीटर है और काठगोदाम की 4.5 किमी है। ऐसे में यहां के लोगों को भी पुलिस से फरियाद करने के लिए समय और धन दोनों का नुकसान उठाना पड़ता है।
ये कैसा परिसीमन
तल्ली हल्द्वानी क्षेत्र के अधिकतर वार्ड बनभूलपुरा थाने में आते हैं जबकि इन वार्डों से मंडी चौकी की दूरी मात्र 500 मीटर है लेकिन परिसीमन ऐसा है कि यहां के लोगों की सुनवाई मंडी चौकी में नहीं बल्कि दो किलोमीटर दूर थाने में होती है।
शहर में हैं तीन थाने
शहर का अधिकांश इलाका वर्षों पहले हल्द्वानी कोतवाली में आता था लेकिन उत्तराखंड बनने के साथ ही धीरे-धीरे आबादी में इजाफा होने लगा। एक दशक पहले शहर में काठगोदाम, बनभूलपुरा व मुखानी थाने को पहचान मिली। इसके बाद हल्द्वानी कोतवाली का बड़ा हिस्सा इन नए थानों में जोड़ दिया गया। इसके बावजूद कोतवाली और थानों का सीमांकन लोगों की सुविधानुसार नहीं हो सका।
क्या कहते हैं लोग
जमरानी बांध स्थल तक कई गांव ऐसे हैं जो हल्द्वानी और काठगोदाम थाने के नजदीक हैं लेकिन उन्हें भीमताल जाना पड़ता है। इसका समाधान होना चाहिए। – सचिन साह, जनप्रतिनिधि
जज फार्म वालों को मुखानी थाने जाना पड़ता है। पूर्व में इस संबंध में ज्ञापन सौंप हल्द्वानी कोतवाली में जोड़ने की मांग उठाई जा चुकी है। – विशंभर कांडपाल, अध्यक्ष सोसायटी जज फार्म
अधिकतर गांवों के लोग वारदात होने पर चोरगलिया थाने जाते हैं। रात को यह जानमाल के लिए खतरे की घंटी है। ग्रामीणों ने इस समस्या को कई बार उठाया है। – किशोर चुफाल पूर्व प्रधान गौलापार
मेरे वार्ड से कोतवाली डेढ़ किमी और हीरानगर चौकी 300 मीटर है लेकिन आपराधिक मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए चार किमी दूर मुखानी थाने जाना पड़ता है। – नीमा भट्ट
थाने-कोतवाली दूर होने संबंधी कोई शिकायत या डिमांड पुलिस को नहीं मिली है। क्षेत्र में बदलाव करना शासन स्तर का मामला है। वैसे लोग थाने-कोतवाली जाने के बजाय रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन सेवा का लाभ ले रहे हैं। – प्रकाश चंद्र, अपर पुलिस अधीक्षक हल्द्वानी