काशीपुर। सरकारी अस्पताल में अलग प्रसव कक्ष न होने के कारण काला पीलिया की बीमारी से ग्रसित गर्भवतियों को प्रसव के लिए हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है। कई सालों से इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा दूसरा प्रसव कक्ष नहीं बनाया जा सका है। एलडी भट्ट उप जिला चिकित्सालय में एक ऑपरेशन थिएटर और एक प्रसव कक्ष है। यहां काला पीलिया जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित गर्भवतियों के प्रसव के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे प्रसव के मामले में एक इंजेक्शन बच्चे को लगाया जाता है ताकि उसे इंफेक्शन से बचाया जा सके। डॉक्टरों का कहना है कि वह इंजेक्शन केवल हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में ही उपलब्ध है। इसलिए ऐसी गर्भवतियों को हायर सेंटर ही रेफर किया जाता है।क्षेत्र के कई निजी अस्पतालों में भी ऐसे मरीजों को कम ही भर्ती किया जाता है। इस कारण प्रसव के दौरान बच्चे और अन्य के बचाव के लिए मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ जाता है। उनका कहना है कि 22 करोड़ से 200 बेड का अस्पताल काशीपुर में बनाया जा रहा है, जिसमें सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उसके बाद ऐसे केस रेफर नहीं किए जाएंगे।
जब इमरजेंसी में की थी डिलीवरी
काशीपुर। सरकारी अस्पताल के प्रसव कक्ष में डॉक्टर की देखरेख में काला पीलिया से ग्रसित इमरजेंसी स्थिति में मार्च 2022 में कटोराताल की शाईन, जुलाई में ग्राम बरखेड़ापांडे की स्वाति, अक्तूबर में कुंडेश्वरा की मानसी, कचनालगाजी की राखी, नवंबर में मालधनचौड़ की सीमा, जनवरी में खड़कपुर देवीपुरा की जमुना, फरवरी 2023 को कुमाऊं कॉलोनी की सत्यवती और अप्रैल में दभौरा मुस्तकम निवासी अरमाना का प्रसव कराया गया है।फिलहाल ऐसे मामलों को हायर सेंटर रेफर किया जाता है, लेकिन 200 बेड के मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल बनने के बाद यहां भी सुविधाएं बेहतर हो जाएंगी। उसके बाद केस यहां भी हैंडल कर लिए जाएंगे। – डॉ. खेमपाल, सीएमएस, एलडी भट्ट राजकीय अस्पताल
काला पीलिया से ग्रसित गर्भवतियों के लिए नहीं बना दूसरा प्रसव कक्ष
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