Sunday, November 23, 2025
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अब बचे सिर्फ 40 परिवार गांव से चार KM दूर है सड़क डोली पर टिकी जिंदगी 70 परिवारों ने छोड़ दिया पभ्या

गणाई-गंगोली के पभ्या गांव में पलायन के कारणों को खोजने के लिए संवाद न्यूज एजेंसी की टीम पहुंची। गांव से करीब दो किलोमीटर पहले ग्रामीण अस्पताल से इलाज के बाद लौटीं 96 साल की बुजुर्ग भागुली देवी को डोली के सहारे घर पहुंचा रहे थे। कंधों पर डोली के भार से हांफते हुए युवक सागर डोबाल और पंकज डोबाल ने बताया कि अब तो डोली पर मरीज लाना-ले जाना हमारी नियति बन गया है। पहाड़ के गांवों से पलायन का मुद्दा लंबे समय से सियासत और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंता का केंद्र रहा है। इसके बावजूद समस्या का ठोस और व्यापक समाधान धरातल पर कम ही नजर आता है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार अब भी गांवों में नहीं हो सका है जो पलायन का कारण बन रहा है। ऐसा ही गणाई गंगोली तहसील का गांव पभ्या है। आए दिन ऐसे ही हम बीमारों और गर्भवतियों को चार किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाते और घर लाते हैं। उन्होंने बताया कि सड़क की मांग करते-करते थकने के बाद बीते दो दशकों में 70 परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। अब गांव में सिर्फ 40 परिवार रह गए हैं। यदि सड़क नहीं पहुंची तो शायद बचे हुए परिवार भी गांव छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

सड़क है चार किमी दूर और प्राइमरी स्कूल भी बंद
सड़क, शिक्षा, पानी के अभाव में पभ्या गांव से पलायन जारी है। पभ्या गांव तक पहुंचने के पैदल रास्ते पर चट्टान से गिरकर दो लोगों की मौत हो चुकी है। दर्जनों जानवर गिर कर मर चुके हैं। गांव में करीब 40 बीपीएल परिवार बचे हैं जो अब भी सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं। गांव में प्राथमिक विद्यालय बंद नजर आया तो ग्रामीणों से इसकी कहानी भी जानी। ग्रामीणों ने बताया कि पलायन हुआ तो इस स्कूल में छात्र संख्या मानकों के अनुरूप घट गई और विभाग ने स्कूल में ताला लगा दिया। अब गांव के बच्चों को 13 किलोमीटर दूर गणाई में किराये पर रहकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।

जर्जर पानी की लाइन टूट जाए तो मुसीबत दोगुनी
ग्रामीणों ने बताया कि पभ्या गांव के लिए 1988 में 25 किलोमीटर दूर से बनी बासीखेत-पभ्या पेयजल योजना बनी थी जो समय के साथ जगह-जगह टूट चुकी है। गांव वाले अपने संसाधनों से पेयजल लाइन की मरम्मत करते हैं। यदि लाइन टूट जाए तो दो-तीन हफ्ते तक करीब तीन किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ता है।

चुनाव में दिखने वाले नेता और कार्यकर्ता हो जाते हैं नदारद
ग्रामीण कहते हैं कि गांव में आज तक कोई जनप्रतिनिधि सुध लेने नहीं पहुंचा। चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता वोट मांगने जरूर पहुंचते हैं लेकिन जीतने के बाद जनप्रतिनिधि तो दूर कार्यकर्ता भी नजर नहीं आते।पभ्या गांव तक सड़क स्वीकृत है। सर्वे का कार्य चल रहा है। जल्द ही इस गांव को सड़क से जोड़ दिया जाएगा। गांव की अन्य मूलभूत समस्याएं भी दूर कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। – फकीर राम टम्टा, विधायक, गंगोलीहाट।

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