हाल ही में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सेना का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक चीनी सैनिक मशीनगन पकड़े हुए एक रोबोडॉग के साथ चलता दिखाई दे रहा है। इस वीडियो को चीन और कंबोडिया के बीच अब तक के सबसे बड़े संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘गोल्डन ड्रैगन’ का बताया जा रहा है। यह वीडियो तब सामने आया है, जब चीन ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास कर रहा है। गोल्डन ड्रैगन एक्सरसाइज में रोबोडॉग को भी शामिल किया गया है, जो रिमोट से कंट्रोल होते हैं और इनकी पीठ पर ऑटोमैटिक राइफलें लगी होती हैं। इससे पहले भारत ने भी 12 मार्च को राजस्थान के पोकरण में हुए सैन्य अभ्यास में रोबोटिक डॉग म्यूल का प्रदर्शन किया था। वहीं इसी महीने आगरा स्थित शत्रुजीत ब्रिगेड ने ऐसे ही एक रोबोटिक डॉग म्यूल की खूबियां साझा की थीं। माना जा रहा है कि चीन का यह वीडियो भारत के रोबोटिक डॉग म्यूल के जवाब में आया है।
2023 में भारतीय सेना ने मिलिट्री इंटेलिजेंस का बनाया हिस्सा
भारतीय सेना लंबे समय से मिलिट्री टेक्नोलॉजी में नई तकनीकों की खोज कर रही है। पिछले साल जम्मू में हुए नॉर्थ टेक सिंपोसियम 2023 में भारतीय सेना के लिए खासतौर पर बनाए गए रोबोटिक डॉग म्यूल यानी मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (MULE) की काफी चर्चा हुई थी, जिसे युद्ध और निगरानी अभियानों के लिए डिजाइन किया गया था। यह म्यूल न केवल बर्फ और पहाड़ों में चल सकता है, बल्कि उन संकरी और अंधेरी जगहों में भी जा सकता है, जहां आतंकवादी या दुश्मन छिपे हो सकते हैं। यह आतंकियों के साथ ‘फर्स्ट कॉन्टैक्ट’ में बेहद काम आ सकता है, जहां आपको यह तो पता है कि यहां दुश्मन छिपा बैठा है, लेकिन उसकी सटीक लोकेशन के बारे में कोई अंदाजा नहीं है। ऐसे में यह म्यूल अपने 360 डिग्री कैमरों की मदद से उनसकी सही लोकेशन का पता लगा कर, फायरिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके दुश्मन को मार गिराया जा सकता है। रोबोट डॉग को साल 2023 में ही भारतीय सेना के मिलिट्री इंटेलिजेंस का हिस्सा बनाया गया था।
भारतीय सेना की सूर्या कमांड ने भी साझा की थी पोस्ट
इसी महीने 12 मई को भारतीय सेना की सूर्या कमांड ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें ऐसा ही एक रोबो म्यूल दिखाई दे रहा है। सूर्या कमांड ने अपने फोटो कैप्शन में लिखा था, सूर्या कमांड के जीओसी इनचार्ज लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने शत्रुजीत ब्रिगेड और आगरा सैन्य स्टेशन का दौरा किया। आर्मी कमांडर ने ब्रिगेड की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की और रोबोटिक म्यूल्स और लॉजिस्टिक ड्रोन जैसी नई तकनीकों की खूबियों से परिचित हुए।
10 किमी तक की दूरी से कर सकते हैं कंट्रोल
इसी साल 12 मार्च को भारतीय सेना ने पोकरण में हुए भारत शक्ति सैन्य युद्धाभ्यास में ऐसे ही एक म्यूल (मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट) की झलक दिखाई थी। थर्मल कैमरों और रडार से लैस यह म्यूल ऊबड़-खाबड़ जमीन, 18 सेमी ऊंची सीढ़ियों और 45 डिग्री वाले पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से चढ़ सकता है। इस रोबो म्यूल की चार टांगें हैं और इसका वजन करीब 51 किलो और लंबाई 27 इंच के आसपास है। मात्र एक घंटे में रिचार्ज हो कर यह लगातार दस घंटे तक काम कर सकता है। इसकी पेलोड क्षमता 12 किलोग्राम है, थर्मल कैमरे और रडार जैसे कई पेलोड इसमें लगाए जा सकते हैं। इसे वाई-फाई या लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन यानी एलटीई पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। छोटी दूरी के लिए, वाई-फाई का उपयोग किया जा सकता है, जबकि एलटीई का उपयोग 10 किमी तक की दूरी के लिए किया जा सकता है। म्यूल एक एनालॉग-फेस वाली मशीन है, जिसे रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जाता है। इसमें एक इंटीग्रेटेड फायरिंग प्लेटफॉर्म भी है।
चीन की रोबो-डॉग टेक्नोलॉजी
मॉर्डन वारफेयर में टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट की अहम भूमिका है। इनमें आर्मर्ड रोबोटिक डॉग्स की अहम भूमिका है। चीन इनमें तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन के ये रोबोटिक कुत्ते भी सीढ़ियां चढ़ने, बैकफ्लिप जैसे कलाबाजी करतब दिखाने, और उबड़-खाबड़ चुनौतीपूर्ण इलाकों को पार करने की क्षमता रखते हैं। वहीं ये 20 किलो तक का भार उठाते हुए लगभग चार घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं। चीन के रोबो डॉग्स की क्षमताओं का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 2023 में यूएस मरीन ने प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट टेस्ट के दौरान एक चीन निर्मित रोबोट डॉग यूनिट्री गो1 ने अपनी मोबिलिटी, युद्धाभ्यास और पेलोड क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए एक M72 लाइट एंटी-टैंक हथियार (LATW) से टारगेट को निशाना बनाया। खास बात यह है कि इसकी कीमत 3,000 डॉलर से भी कम है। जबकि अमेरिकी निर्मित बोस्टन डायनेमिक्स स्पॉट डॉग की कीमत लगभग 60,000 डॉलर के आसपास है। अमेरिकी सेना ने इससे पहले यूक्रेन में माइन क्लीयरेंस के लिए बोस्टन डायनेमिक्स रोबोट कुत्ते का इस्तेमाल किया था।