Saturday, November 15, 2025
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सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने में होगा सहायक उत्तराखंड में नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम को मिली मंजूरी

देहरादून। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य सरकार ने नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि सरकार का यह निर्णय मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने और सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक बेहतर कदम साबित होगा। दरअसल, सचिवालय में सोमवार को राज्यस्तरीय मिडवाइफरी टास्क फोर्स की बैठक हुई। स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम को उत्तराखंड में शुरू करने की मंजूरी दी गई। उत्तराखंड का मातृ मृत्यु अनुपात 104 प्रति एक लाख जीवित जन्म है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 88 प्रति एक लाख जीवित जन्म है। बैठक के दौरान स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने कहा कि नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी कार्यक्रम से राज्य में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में बेहतर सुधार होगा और इससे उत्तराखंड के मृत्यु दर (एमएमआर) में कमी आएगी।

साथ ही कहा कि, जल्द ही 30 नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफ के पहले बैच की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए एक विस्तृत प्रस्ताव भी जल्द तैयार किया जाएगा. यह 18 माह का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य मिडवाइफरी प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून में संचालित किया जाएगा। प्रशिक्षण पूरी करने के बाद, जीएनएम/बी.एससी। नर्सिंग बैकग्राउंड वाली प्रशिक्षित मिडवाइफ को राज्य के चयनित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात किया जाएगा। ये प्रशिक्षित मिडवाइफ संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण, सम्मानजनक और साक्ष्य-आधारित मातृत्व सेवाएं प्रदान करेंगी, जिससे प्रसव सुरक्षित होंगे और माताओं एवं नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य बेहतर होगा। नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी (एनपीएम) कार्यक्रम 6 नवंबर 2019 को भारत सरकार की ओर से शुरू किया गया था। नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी (एनपीएम) कार्यक्रम एक 18 महीने का ट्रेनिंग कोर्स है।जो रजिस्टर्ड नर्सों को मिडवाइफरी की बेसिक जानकारियां और प्रैक्टिस के लिए भारतीय नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) की ओर से तय दक्षताओं को पूरा करने के लिए ट्रेंड करता है। ताकि नर्स को भी सुरक्षित, सम्मानजनक और देखभाल-केंद्रित मिडवाइफरी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। इस कोर्स को करने वाली रजिस्टर्ड नर्सों को राज्य नर्सिंग काउंसिल की ओर से नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफ के रूप में प्रमाणित भी किया जाता है।

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