उत्तर प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित उपश्रेणी के फर्जी प्रमाणपत्रों को लगाकर एमबीबीएस में दाखिला लेने वालों छात्रों की जांच में नया खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि प्रमाणपत्रों पर बारीकी से जिलाधिकारियों के हस्ताक्षर किए गए। साथ ही मुहर लगाने के साथ ही पत्रांक भी दर्ज कर दिया।ऑनलाइन नीट काउंसिलिंग के दौरान पुख्ता व्यवस्था करने का दावा किया गया था। हर स्तर पर चेकलिस्ट बनाई गई थी, लेकिन काउंसिलिंग में धांधली करने वाले रैकेट ने इस बार भी सेंध लगा दी। खास बात यह है कि अभी तक जाति एवं अन्य तरह के प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी नहीं मिली है, लेकिन इनकी भी नए सिरे से जांच शुरू हो गई है।
71 छात्रों ने दाखिला भी ले लिया था
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों की संख्या कम होती है। ऐसे में इस पर ध्यान भी कम जाता है। फर्जी तरीके से दाखिला कराने वाले रैकेट ने इस वर्ष इसी प्रमाणपत्र पर फोकस किया। यही वजह है कि 79 छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित उपश्रेणी के प्रमाण पत्रों को लगाया। इनमें 71 ने दाखिला भी ले लिया था।अब इसमें 64 के दाखिले निरस्त कर दिए गए हैं। अन्य की जांच चल रही है। जिलाधिकारियों ने चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय को भेजी रिपोर्ट में साफ कहा है कि प्रमाणपत्रों में जिलाधिकारी के हस्ताक्षर फर्जी हैं।प्रमाणपत्र अलग-अलग तिथि में जारी किए गए हैं। इन पर मुहर भी लगा दी गई है। फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वालों ने इस बात ध्यान रखा है कि जिस तिथि में प्रमाणपत्र जारी हो रहा है, उस वक्त संबंधित जिले में जिलाधिकारी कौन है? उसी हिसाब से हस्ताक्षर बनाया है।
पिछले वर्ष दाखिला लेने वालों की भी होगी जांच
नीट यूजी काउंसिलिंग के तहत पिछले वर्ष जिन छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाणपत्र के आधार पर दाखिला लिया है, उनके प्रमाणपत्रों की भी जांच कराई जाएगी। शनिवार को ऐसे छात्रों के प्रमाणपत्रों की छंटनी शुरू कर दी गई है। इन्हें जिलेवार भेजा जाएगा।
अगले चरण में शामिल की गईं सीटें
फर्जी तरीके से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित का प्रमाणपत्र लगाने वालों को आवंटित हुई सीटें निरस्त कर दी गई हैं। इन सीटों को अगले चरण की काउंसिलिंग में शामिल किया जा रहा है। काउंसिलिंग की नियमावली में यह व्यवस्था दी गई है कि यदि किसी छात्र का प्रमाणपत्र फर्जी अथवा कूटरचित पाया जाता है तो उसका प्रवेश निरस्त कर दिया जाएगा। इसके लिए संपूर्ण उत्तरदायित्व अभ्यर्थी का होगा।
हर प्रमाणपत्र का कराया जाएगा सत्यापन
अभी तक नोडल सेंटरों पर प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने बके बाद दाखिले की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती थी। फिर जिलाधिकारी कार्यालय भेजकर प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया जाता था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने के बाद अब जाति व अन्य प्रमाणपत्रों का चरणवार सत्यापन कराया जाएगा। हर चरण की काउंसिलिंग पूरी होते ही छात्रों के प्रमाणपत्र संबंधित जिले के जिलाधिकारी को भेजे जाएंगे।
जिलेवार दर्ज होगी रिपोर्ट
चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले छात्रों के बारे में जानकारी देते हुए अग्रिम कार्रवाई करने की चात कही है। अब सभी जिलों के जिलाधिकारी के स्तर से फर्जीवाड़ा करने वाले छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। संबंधित जिलाधिकारियों ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू भी कर दी है। बलिया के अपर जिलाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि उनके पास 12 छात्रों के नाम भेजे गाए थे, जिसमें एक छात्र का प्रमाणपत्र सही पाया गया है, जबकि 11 के प्रमाणपत्र मलत मिले हैं। इन सभी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
अल्पसंख्यक कोटे की सीटों पर भी नजर
पिछले वर्ष की काउंसिलिंग के दौरान अल्पसंख्यक कोटे के रूप में जैन, पारसी, ईसाई आदि बनकर तमाम छात्रों ने दाखिला ले लिया था। मामला पकड़ में आने पर निजी कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। इस वर्ष भी अल्पसंख्यक कोटे के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों की विशेष निगरानी की जा रही है। उनके प्रमाणपत्रों को भी संबंधित जिलों के जिलाधिकारी के पास भेजा जाएगा।
तत्काल दर्ज कराई जाए रिपोर्ट
पूर्व जिला न्यायाधीश बीडी नकवी का कहना है कि फजी प्रमाणपत्र लगाने के मामले में तत्काल आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जानी चाहिए। ऐसे लोगों को तत्काल गिरफ्तारी हो ताकि पूरे रैकेट की जानकारी मिल सके। यह संगीन मामला है। यह न सिर्फ फर्जीवाड़ा है बल्कि धोखाधड़ी से जुड़ा मामला भी है। क्योंकि जिन छात्रों ने गलत प्रमाणपत्र लगाया, उन्होंने दूसरे छात्रों का हक मारा। यह अलग बात है कि समय रहते मामला पकड़ में आ गया और सीटें बच गई।
आरोपियों पर होगी सख्त कार्रवाई
मामले में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्रों से दाखिला लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित जिलाधिकारियों के स्तर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्रदेश स्तर पर भी एक टीम बनाई जाएगी, जो यह सुनिश्चित करेगी कि फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। इन छात्रों को झांसे में लेकर कोई रैकेट सक्रिय है तो उसका भी खुलासा किया जाएगा।