अखिल भारतीय देवभूमि ब्राह्मण जन सेवा समिति ने आज उत्तराखंड शासन-प्रशासन को एक खुला पत्र सौंपा है, जिसमें अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर चिरंजीवी भगवान परशुराम जी के जन्म उत्सव को राजकीय सम्मान के साथ मनाए जाने की मांग की गई है। यह पत्र लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक रूप से प्रेषित किया गया।
समिति ने पत्र में उल्लेख किया है कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण के बाद से ही ब्राह्मण समाज ने राज्य के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास में अपना विशिष्ट और उल्लेखनीय योगदान दिया है। राज्य की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में ब्राह्मण समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साथ ही, राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी यह समाज हमेशा प्रदेश की राजनीति की एक मुख्य धुरी रहा है।
ब्राह्मण समाज ने उत्तराखंड की बीहड़ पहाड़ियों में आकर मुगल आक्रमणों से सनातन धर्म और परंपराओं की रक्षा की थी। आज भी राज्य की लगभग 20 प्रतिशत जनसंख्या ब्राह्मण समाज की है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है।
भगवान परशुराम के जन्मदिवस को नहीं मिला अब तक सम्मान
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड शासन-प्रशासन द्वारा भगवान परशुराम जी के जन्मदिवस अक्षय तृतीया को कभी भी राजकीय मान्यता या सम्मान नहीं दिया गया, जिससे समाज में गहरा असंतोष व्याप्त है।
समिति का कहना है कि कई वर्षों से विभिन्न ब्राह्मण संगठनों द्वारा इस दिवस को राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग की जा रही है। अक्षय तृतीया न केवल धार्मिक, बल्कि आर्थिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन से चारधाम यात्रा का शुभारंभ होता है और गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते हैं।
ब्राह्मण महाकुंभ में भी उठी थी मांग
दिनांक 24 सितंबर 2023 को हरिद्वार में आयोजित ब्राह्मण महाकुंभ में भी इस विषय को मुख्य मांग के रूप में उठाया गया था, परंतु अब तक शासन द्वारा कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है।
समिति ने यह भी कहा कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री और सूचना विभाग द्वारा भी इस दिवस पर जनता को कोई बधाई संदेश नहीं दिया जाता, जिससे ब्राह्मण समाज उपेक्षित महसूस करता है।
समिति की मांगें और सुझाव
- 30 अप्रैल 2025 को भगवान परशुराम जी के जन्म उत्सव पर सम्मानजनक निर्णय लिया जाए।
- देहरादून के किसी प्रमुख स्थान जैसे नेहरू कॉलोनी या मोहब्बेवाला में भगवान परशुराम जी के नाम पर एक द्वार का निर्माण किया जाए।
- यदि शासन-प्रशासन अब भी निर्णय लेने में संकोच कर रहा है, तो ब्राह्मण समाज को स्वयं आगे आकर इस उत्सव को स्वेच्छिक अवकाश लेकर मनाना चाहिए।
- ब्राह्मण समाज द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में एक घंटे का विशेष कार्यक्रम आयोजित कर समाज के योगदान से छात्रों व कर्मचारियों को अवगत कराया जाए।
- कार्यक्रम के दौरान मिष्ठान वितरण कर उत्सव को सामाजिक रूप से व्यापक रूप में मनाया जाए।
प्रेस वार्ता में प्रमुख जनों की सहभागिता
आज आयोजित प्रेस वार्ता में अनेक धार्मिक, सामाजिक और संगठनात्मक प्रमुखों की सहभागिता रही, जिनमें प्रमुख रूप से:
- गंगोत्री धाम के रावाल पंडित हरीश सेमवाल जी,
- यमुनोत्री धाम के रावाल पंडित ज्योति प्रसाद उनियाल जी,
- केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित पंडित शशांक उपाध्याय जी,
- समिति संरक्षक श्री आर. एन. शर्मा,
- श्री सुनील उनियाल गामा, श्री प्रभुलाल बहुगुणा,
- केंद्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा, सचिव रूचि शर्मा,
- प्रदेश महासचिव डॉ. अजय वशिष्ठ,
- देहरादून जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा,
- महानगर अध्यक्ष राजेश पंत,
- महासचिव देवाशीष गौड़,
- देवभूमि नारी शक्ति की प्रभारी एडवोकेट राजगीता शर्मा,
- अध्यक्ष भारती जोशी, महासचिव मधु शर्मा,
- तुषार शर्मा, डॉ. रमाकांत उपाध्याय, किशोर कुमार शर्मा, संजय मिश्रा, विक्रम शर्मा, डॉ. अनुज शर्मा,
तथा अन्य अनेक पदाधिकारी एवं समाजसेवी उपस्थित रहे।
समिति का स्पष्ट संदेश है कि अब समय आ गया है जब ब्राह्मण समाज अपने सम्मान की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाए और भगवान परशुराम जी के जन्मदिवस को राज्य स्तरीय महत्त्व प्रदान करने हेतु सशक्त प्रयास करे।
