रुद्रपुर। परिवहन निगम की ओर से यात्री सुविधाओं के दावे किए जाते हैं पर हकीकत है कि खस्ताहाल बसें सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। इसकी सुध लेने वाला न तो निगम है और न ही प्रशासन का ध्यान इस पर है। बड़े रूटों पर अच्छी बसों का संचालन हो रहा है जबकि लोकल रूटों पर खस्ताहाल बसें संचालित हो रही हैं। हालांकि इधर निगम ने 10 परित्यक्त 10 बसों नीलाम कर दिया पर उसे निगम से नई बसें नहीं मिल पाई हैं।रुद्रपुर परिवहन निगम के पास एक माह पूर्व कुल 84 बसों का बेड़ा था। इसमें 42-42 बसें रोडवेज व अनुबंधित थीं।
इन बसों का संचालन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, देहरादून, अयोध्या, लखनऊ, बरेली, टनकपुर, नैनीताल आदि रूटों पर किया जाता था। इसमें 10 लाख किलोमीटर चल चुकी 10 बसों को निगम ने नीलाम कर दिया। अब बची 32 बसों में आधी बसें भी सात से आठ लाख किलोमीटर चल चुकी है।यानि यह बसें भी अपनी मियाद पूरी करने की तरफ हैं पर परिवहन निगम से नई बसें नहीं मिल पा रही हैं। इसके चलते इन बसों को ही रूटों पर दौड़ाना पड़ रहा है।
मजबूरन सफर करते हैं यात्री
रुद्रपुर। सड़कों पर बेलगाम दौड़ रही ऐसी बसों से जहां हादसे की आशंका बनी रहती है, वहीं चालक-परिचालक को भी हमेशा डर सताता रहता है कि बस कहीं सड़क पर ही न खड़ी हो जाए। बसों की बॉडी भी टूटकर गिरने लगती है। यहां तक कि खिड़कियां टूटी हुईं हैं। खिड़कियां टूटी होने के बाद भी सर्दी-गर्मी के मौसम में यात्रियों को मजबूरन ही इन बसों से सफर करना पड़ता है। पांच अनुबंधित बसें लगाई गई हैं। लंबे रूट पर नई बसों को ही चलाया जा रहा है। अभी निगम की तरफ से कोई बस नहीं मिली है। -केएस राणा, उप महाप्रबंधक।







