इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ तकनीकी उन करोड़ों लोगों की जिंदगी में उम्मीद की किरण है, जो किन्हीं कारणों से संतान सुख हासिल नहीं कर पाते। यह तकनीक काफी महंगी होने के कारण सामान्य पृष्ठभूमि वाले लोग इसका प्रयोग करने से पीछे हट जाते हैं, लेकिन अब आईवीएफ सेंटर इस सुविधा के लिए लोन भी उपलब्ध करा रहे हैं। इलाज में आने वाले लाखों का खर्च ईएमआई से चुकाकर नि:संतान लोगों के आंगन में किलकारी गूंज रही है। यह लोन कुछ आईवीएफ सेंटर खुद मुहैया करा रहे हैं, तो कई सेंटर बैंकों से लोन कराकर इसकी ईएमआई से सुविधा का लाभ दे रहे हैं। इस व्यवस्था के कारण अब पहाड़ और ग्रामीण क्षेत्रों में आईवीएफ की पहुंच गहरी होती जा रही है। देहरादून में भी पांच से अधिक आईवीएफ सेंटर हैं, जहां प्रत्येक माह 200 से अधिक विवाहित जोड़े संतान की आस में पहुंच रहे हैं। वहीं, ईएमआई से आसान किश्तों में माता-पिता बनने का सपना पूरा हो जाता है।
सफलता दर कम होने पर बढ़ जाता है खर्च
नोवा आईएफ फर्टिलिटी सेंटर के आईएफ विशेषज्ञ डाॅ. अभिनय सिंह बताते हैं, यह प्रक्रिया थोड़ी महंगी है। इसका खर्च इसके सक्सेस रेट पर निर्भर करता है। सफलता दर कम होने के कारण खर्च बढ़ जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं में 35 साल से पहले ही गर्भधारण करने की समस्या आ रही है। इनके लिए फाइनेंस की सुविधा प्रदान की जा रही है।
80 हजार से एक लाख है प्रक्रिया शुल्क
दून में आईवीएफ से सभी प्रकार की अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। निजी फर्टिलिटी सेंटर में प्रक्रिया शुल्क करीब 80 हजार रुपये से एक लाख रुपये है, जिसमें डॉक्टर-कंस्लटेंट फीस समेत कई जांचों का शुल्क शामिल है। सेरोलोजिकल टेस्ट की फीस 1.30 लाख से 1.50 लाख रुपये तक है। इसमें से एक लाख रुपये तक का लोन भी दिया जा रहा है।आईवीएफ में खर्च करीब एक लाख रुपये से दो लाख रुपये के बीच आता है। कई सेंटर्स उपचार के शुल्क को किश्तों में लेते हैं, इसके लिए विशेष स्कीम भी चलाते हैं। – डॉ. संगीता, आईवीएफ विशेषज्ञ
कैसे होती है आईवीएफ की प्रक्रिया
डॉ. अभिनय सिंह बताते हैं, आईवीएफ प्रयोगशाला आधारित प्रक्रिया है। इसमें परिपक्व अंडों को अंडाशय से निकाला जाता है और शुक्राणु द्वारा निषेचन के लिए एक विशेष प्रयोगशाला में रखा जाता है। भ्रूण या निषेचित अंडों को एक लंबी, पतली कैथेटर (ट्यूब) का उपयोग करके गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें लगभग तीन सप्ताह लगते हैं। इंदिरा आईवीएफ सेंटर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार निःसंतान दंपतियों को प्रजनन उपचार के लिए ब्याज मुक्त आईवीएफ ऋण दिया जाता है। इसके सेंटर पर आईवीएफ उपचार करवाने के इच्छुक दंपती कुछ राशि जमाकर अपना उपचार शुरू कर सकते हैं। बैंक कई तरह की सेवाओं के लिए लोन उपलब्ध करा रहे हैं, पर्सनल लोन का दायरा भी बढ़ाया गया है। निजी जरूरतों से लेकर आईवीएफ का शुल्क अदा करने के लिए भी अब बैंक लोन दिया जा रहा है। इस लोन का प्रयोग कर लोग जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। – संजय भाटिया, लीड बैंक मैनेजर