Monday, September 22, 2025
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पुलिस ने किया गिरफ्तार वारदात को ऐसे दिया था अंजाम ठिकाने और हुलिया बदलता रहा सरबजीत

बाबा तरसेम सिंह हत्याकांड के आरोपी और शूटर सरबजीत सिंह एक साल से पुलिस को चकमा दे रहा था। इस दौरान उसने न केवल कई ठिकाने बदले, बल्कि पहचान छिपाने के लिए कई बार हुलिया भी बदला। 28 मार्च 2024 को नानकमत्ता में बाबा तरसेम सिंह की हत्या करने के बाद शूटर अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू और सरबजीत सिंह बाइक से भाग निकले थे। अप्रैल 2024 में हरिद्वार में बिट्टू का एनकाउंटर हो गया, जबकि सर्बजीत भूमिगत हो गया था। उस पर पहले 50000, फिर एक लाख और उसके बाद दो लाख रुपये का इनाम रखा गया था।

पुलिस के साथ ही एसटीएफ भी उसकी तलाश में जुटी थी। पुलिस ने पंजाब में उसके घर सहित कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी लेकिन वो चकमा देने में सफल रहा। पुलिस को दो महीने पहले सरबजीत के तरनतारन के एक घर में छिपे होने की जानकारी मिली।एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने टास्क को अपने हाथों में लिया और गोपनीय ढंग से एक टीम को वहां भेजा। इसके बाद बदल-बदल कर पुलिसकर्मी तरनतारन जाकर जानकारी जुटाते रहे। इस टास्क को इतना गोपनीय रखा गया कि किसी को भी भनक नहीं लगी।

हत्यारोपी सरबजीत का आपराधिक इतिहास
वर्ष 2006 में पंजाब के वेरोवाल में आईपीसी की धारा-364 ए के तहत केस दर्ज।
वर्ष 2007 में थाना आदमपुर में आईपीसी की धारा 365 व 120बी के तहत केस दर्ज।
थाना पुआड़ा बिहार में आईपीसी की धारा 395, 397, 412,216 में नामजद
वर्ष 2012 में थाना वैरोवाल में आर्म्स एक्ट का मुकदमा।
वर्ष 2012 और 14 में थाना वैरोवाल में एनडीपीएस एक्ट का केस हुआ।
2015 में थाना जंडिआलागुरु में आर्म्स एक्ट का केस। 2016 में थाना तरसिक्का में एनडीपीएस एक्ट का केस।
2019 में थाना वैरोवाल (पंजाब) में 174 ए आईपीसी के तहत केस। वर्ष 2021 में थाना वैरोवाल में आर्म्स एक्ट का केस।
वर्ष 2021 में थाना वैरोवाल में 336,50,34 आईपीसी के तहत केस।
वर्ष 2023 में थाना वैरोवाल में धारा 323, 324, 452,148, 149 के अंतर्गत केस।
थाना पुवांया शाहजहांपुर में 395,397, 412 आईपीसी के तहत केस।
2024 में थाना नानकमत्ता में 302,120बी, 34 आईपीसी के तहत केस।

एक साल में हत्थे चढ़ा हत्यारोपी
तरसेम सिंह हत्याकांड में एक साल से पुलिस को चकमा दे रहे सरबजीत सिंह को बुधवार को पंजाब से हुई गिरफ्तारी पुलिस के लिए बहुत बड़ी सफलता है। पुलिस अब इस हत्याकांड से जुड़े कुछ और षड्यंत्रकारियों तक पहुंच सकती है।सरबजीत की गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण थी। उसने सोशल मीडिया पर अपनी गलत लोकेशन से पुलिस की जांच को कई बार प्रभावित करने का प्रयास किया। उसके विदेश भागने की भी कई बार चर्चा हुई।

सोशल मीडिया अकाउंट में ली थी हत्या की जिम्मेदारी
सरबजीत के सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट कर हत्याकांड की जिम्मेदारी ली गई थी। पुलिस ने सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की बात कही थी। वारदात के दूसरे दिन सरबजीत सिंह मियां विंड के नाम से बने सोशल मीडिया अकाउंट से जारी पोस्ट ने सनसनी फैला दी थी। इसमें सरबजीत ने बाबा तरसेम की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। पोस्ट में लोकेशन बांग्लादेश के ढाका स्थित गुरुद्वारा नानकशाही की दी गई थी। इसमें दावा किया गया था कि वह खुद अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होगा। यह पोस्ट सरबजीत ने की थी या किसी और ने, यह स्पष्ट नहीं हो सका था।

वारदात को ऐसे दिया था अंजाम
28 मार्च 2024 की सुबह 6:15 बजे सरबजीत सिंह अपने साथी अमरजीत सिंह के साथ बाइक से डेरा कार सेवा में घुसा। सरबजीत बाइक चला रहा था जबकि बाबा को गोली अमरजीत ने मारी। घटना के वक्त बाबा परिसर में कुर्सी पर बैठे थे। 8 अप्रैल 2024 को अमरजीत सिंह को उत्तराखंड एसटीएफ और हरिद्वार पुलिस ने एनकाउंटर कर मार गिराया लेकिन सरबजीत सिंह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। अमरजीत की मौत के चलते सरबजीत के ठिकानों के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल सकी थी लेकिन एसएसपी के नेतृत्व में उत्तराखंड पुलिस ने दो लाख के इनामी मियां मिड जिला तरनतारन (पंजाब) निवासी सरबजीत को हत्याकांड के एक साल बाद गिरफ्तार कर ही लिया।

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