जमरानी बांध विस्थापितों को बसाने के लिए भेजे गए मास्टर प्लान को मंजूरी मिल गई है। अब पस्तोला, मुरकुड़िया समेत डूूब क्षेत्र के छह गांवों के ग्रामीणों को बसाने का रास्ता साफ हो गया है। जमरानी बांध परियोजना इकाई अब इसका विस्तृत आगणन (एस्टीमेट) तैयार कर डीपीआर बनाएगी। मंजूर किए गए मास्टर प्लान में शर्त है कि जितनी भूमि कृषि कार्य के लिए दी गई है, उसमें किसी तरह के गैर कृषि कार्य नहीं किए जा सकेंगे।जमरानी बांध परियोजना इकाई के प्रबंधक हिमांशु पंत ने बताया कि डूब क्षेत्र के ग्रामीणों को प्रागफार्म में बसाने का मास्टर प्लान देहरादून के टाउन प्लानर के यहां भेजा गया था। वहां से इसे मंजूरी मिल गई है। इसमें शर्त लगाई गई है कि प्लान में जितनी भूमि कृषि कार्य के लिए दर्शाई गई है, उतनी भूमि पर कृषि कार्य ही होंगे।
इससे इतर कार्य इस भूमि पर नहीं करा सकेंगे। उन्होंने बताया कि डूब क्षेत्र के छह गांवों के 213 परिवारों को एक-एक एकड़ कृषि भूमि दी जानी है। इसके अलावा इन परिवारों के लिए 200 वर्गमीटर के आवास दिए जाएंगे। 233 बालिग परिवारों के लिए 50-50 वर्गमीटर में पीएम आवास योजना के तहत घर बनाए जाएंगे।यहां आंगनबाड़ी केंद्र, सामुदायिक भवन, शापिंग कांप्लैक्स, जूनियर हाईस्कूल, पशु अस्पताल आदि का भी निर्माण किया जाएगा। प्रबंधक पंत ने बताया कि अन्य सभी सुविधाएं प्रागफार्म के तीन सौ मीटर की परिधि में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि टाउन प्लान को मंजूरी मिलने के बाद अब इसका विस्तृत आगणन तैयार कर डीपीआर बनाई जाएगी। अब यहां विस्थापितों को बसाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। जमरानी के अधिकारियों के मुताबिक विस्थापितों को बसाने में करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।