कुमाऊं विश्वविद्यालय के रसायन विभाग में प्रोफेसर और वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. एनजी साहू कचरे में फेंके प्लास्टिक को उपयोगी पर्यावरणीय उत्पादों में बदलने की दिशा में कार्य कर रहें हैं। इससे प्रभावित होकर सिंगापुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने एक संयुक्त शोध परियोजना शुरू करने पर सहमति जताई है। इस परियोजना के तहत ऐसी तकनीक विकसित की जाएगी जिससे प्लास्टिक कचरे से हाइड्रोजन ऊर्जा बनाई जा सके।प्रो. साहू ने खास बातचीत में बताया में बताया कि हाल ही में सिंगापुर की प्रतिष्ठित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. कोंस्तांतिन नोवोसेलोव से मुलाकात की। ग्राफीन की खोज के लिए प्रो. नोवोसेलोव को वर्ष 2010 में भौतिकी का नोबेल मिला है।
ग्राफीन एक अत्यंत पतली कार्बन परत होती है और विद्युत, यांत्रिक के साथ उष्मा से जुड़ी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाती है। उनकी यह खोज आज विज्ञान, नैनो टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के क्षेत्र में एक क्रांति लेकर आई है।कचरे में फेंके गए प्लास्टिक को उपयोगी पर्यावरणीय उत्पादों में बदलने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। खासतौर पर उन्होंने प्लास्टिक से हाइड्रोजन ऊर्जा और कार्बन नैनो मैटेरियल बनाने की प्रक्रिया को समझाया। प्रो. नोवोसेलोव ने इस शोध में गहरी रुचि दिखाई और इसे बेहद उपयोगी, व्यावहारिक और सस्टेनेबल इनोवेशन की दिशा में मजबूत कदम बताया। -प्रो. एनजी साहू, प्रोफेसर
कुमाऊं विवि आने की जताई इच्छा
अंतरराष्ट्रीय ज्ञान-विनिमय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रो. नोवोसेलोव ने कुमाऊं विश्वविद्यालय आने की इच्छा जताई है। उन्होंने विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह में भाग लेकर भारतीय शोधकर्ताओं से अपने अनुभव साझा करने की सहमति भी दी है।