Monday, December 22, 2025
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अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की तैयारी कालका-शिमला रेल ट्रैक पर भूस्खलन होते ही बजेगा हूटर

रेलवे की ओर से कालका- शिमला हेरिटेज ट्रैक पर पहली बार अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जा रहा है। कालका से शिमला तक 96 किलोमीटर के ट्रैक पर दो जगह यह सिस्टम लगेंगे। विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलमार्ग को आधुनिक प्रणाली से हाईटेक बनाया जा रहा है। रेलमार्ग पर अब किसी भी प्रकार के खतरे का अलर्ट रेलवे को पहले ही मिल जाएगा। इसके लिए रेलवे कालका से शिमला रेल ट्रैक पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने जा रहा है।रेलवे ने अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिए ओएसटी स्लोप प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मा सौंपा है। अर्ली वार्निंग सिस्टम लगने के बाद रेल ट्रैक पर होने वाले खतरे से निपटा जा सकेगा। भूस्खलन से पहले ही ट्रेनों को रोककर बचाव होगा।

शिमला के जतोग और सोलन के बड़ोग में भूस्खलन अधिक होने की आशंका को देखते हुए सिस्टम लगाने के लिए जगह चिहि्नत की गई है। जतोग में सिस्टम स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। सिस्टम लगने से रेलवे को भूस्खलन की जानकारी मिल जाएगी।इस सिस्टम में लगे सेंसर से भूस्खलन से पहले ही अलर्ट जारी हो जाएगा। यदि रेल लाइन पर कहीं भूस्खलन होने वाला है तो रेल ट्रैक पर लगे हूटर खुद बजने लग जाएंगे। इसके साथ ही रेलवे के अधिकारियों को भी मैसेज मिल जाएंगे कि रेल लाइन पर भूस्खलन होने वाला है या हो गया है। इसके बाद ट्रेनों की आवाजाही रोककर नुकसान से बचाव किया जा सकेगा। बीते साल बरसात में हुई त्रासदी से हेरिटेज ट्रैक को भारी नुकसान हुआ था। भूस्खलन से कालका से शिमला ढाई महीने तक ट्रेनों की आवाजाही बंद रही। इससे सबक लेते हुए रेवले ने यह कवायद शुरू की है। रेलवे ने ओएसटी स्लोप प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और आईआईटी मंडी के साथ मिलकर अर्ली वार्निंग सिस्टम को तैयार किया है। ओएसटी लिमिटेड की ओर से ट्रैक पर यह सिस्टम स्थापित किया जा रहा है।

सिस्टम ऐसे करेगा काम
अर्ली वार्निंग सिस्टम में तीन पोल लगाए जा रहे हैं। इनमें एक पोल को ढलान और दो पोल को ट्रैक पर लगाया जाएगा। ढलान पर लगे पोल में सेंसर, सोलर पैनल और बैटरी लगी होगी। पहाड़ी से ट्रैक पर पत्थर, मिट्टी गिरने पर सेंसर से अलर्ट जारी होगा। यह अलर्ट ट्रैक पर लगे पोल और रेलवे अधिकारियों को मिलेगा। ट्रैक पर लगे पोल को अलर्ट मिलने से हूटर बजेगा। यह अलर्ट आधा किलोमीटर तक के क्षेत्र तक जारी होगा। हूटर बजने से ट्रेन को पहले ही भूस्खलन होने का सिग्लन मिल जाएगा। इससे ट्रेनों की आवाजाही रोकी जा सकेगी।


रेलवे की ओर से कालका- शिमला हेरिटेज ट्रैक पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने का जिम्मा सौंपा गया है। शिमला के जतोग और सोलन के बड़ोग में सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं। जतोग में सिस्टम स्थापित कर दिया है। इस सिस्टम से भूस्खलन होने से पहले ही अलर्ट जारी होगा। ट्रैक पर लगे पोल से हूटर बजेगा। रेलवे अधिकारियों को मैसेज के जरिए अलर्ट जारी होगा। –आशीष कुमार, सीनियर डिजाइन मैनेजर, ओएसटी स्लोप प्रोटेक्शन इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

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