Tuesday, November 25, 2025
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खेतों में लहलहाएगी गुणवत्तायुक्त फसल किसानों को मिलेगा बेहतर कल

पंतनगर। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और आईसीएआर के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) नई दिल्ली के बीच शनिवार को एक महत्वपूर्ण समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दोनों संस्थानों के बीच कृषि अनुसंधान, बीज उत्पादन, तकनीकी विकास, शैक्षणिक सहयोग और नवाचारों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।कुलपति सभागार में कुलपति डाॅ. मनमोहन सिंह चौहान और आईएआरआई के निदेशक एवं कुलपति डाॅ. सीएच श्रीनिवास राव ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। कुलपति डाॅ. चौहान ने आईएआरआई की विभिन्न क्षेत्रों में शोध उपलब्धियों की प्रशंसा की।

साथ ही 52 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल के निर्यात का जिक्र करते हुए इसको विशेष उपलब्धि बताया। आईएआरआई के निदेशक डॉ. राव ने पंतनगर विवि और आईएआरआई से संयुक्त रूप में प्रजातियों को विकसित करने की भी अनुशंसा की।आईएआरआई के संयुक्त निदेशक शोध डाॅ. विश्वनाथ चुन्नुस्वामी ने कहा कि पंतनगर विवि के पास उपलब्ध बीज उत्पादन ढांचे से प्रजनक बीज उत्पादन में वृद्धि होगी और उनकी ओर से भी पूसा-पंत नाम से संयुक्त रूप से प्रजातियों का विकास किया जाएगा। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद निदेशक आईएआरआई और उनकी टीम ने विवि के नारमन ई. बोरलाग फसल अनुसंधान केंद्र का भ्रमण भी किया।

दोनों संस्थानों के बीच शोध कार्य और बेहतर होगा : डॉ. चौहान
पंत विवि के कुलपति डाॅ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि विवि और आईएआरआई के बीच समझौते से दोनों संस्थानों के बीच शोध कार्य और बेहतर होगा जिससे राष्ट्र के विकास में सहायता मिलेगी। आईएआरआई से विकसित विभिन्न प्रजातियों के गुणवत्तायुक्त बीज देश के किसानों के पास पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि मक्के के गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन पर विशेष बल दिया जाएगा क्योंकि इसका बड़े स्तर पर इथेनाॅल उत्पादन में प्रयोग किया जा रहा है।

विकसित भारत की संकल्पना साकार करने के होंगे प्रयास : डाॅ. राव
आईएआरआई के निदेशक डाॅ. सीएच श्रीनिवास राव ने बीज की महत्ता और गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन पर प्रकाश डालते हुए आईएआरआई की ओर से खाद्यान्न, दलहनी एवं तिलहनी फसलों की विकसित प्रजाति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए हमें सदैव आत्मनिर्भर रहना होगा। हमें ऐसी क्षमताएं जिनको अब तक नहीं प्राप्त कर सके हैं, उसे प्राप्त करने के प्रयास करने होंगे। उन्होंने पंतनगर विवि और आईएआरआई से संयुक्त रूप में प्रजातियों को विकसित करने की भी अनुशंसा की।

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