एम्स में तैनात गार्डों पर मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने का आरोप लगा है। आरोप है कि इमरजेंसी के पास तैनात गार्ड निजी अस्पतालों की एंबुलेंस परिसर के अंदर बुलवाकर मरीजों को बाहर भिजवा रहे हैं। ये काम देर रात में किया जा रहा है। उधर, एम्स प्रशासन ने आरोपों की जांच कराने की बात कही है।कुशीनगर के लक्ष्मीनारायण सिंह ने इसे प्रेसवार्ता कर आरोप लगाया है। आरोप के मुताबिक, एम्स के एक चिकित्सक उनके मरीज को निजी अस्पताल ले जाने के लिए एक निजी एंबुलेंस वाले का नंबर दिया था। 25 दिसंबर की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि रात में कुछ मरीजों को इमरजेंसी के बाहर से निजी अस्पतालों में भेजा गया। प्रत्यक्षदर्शी की मानें तो इस दौरान एक गार्ड भी मौके पर मौजूद था।दावा किया कि अगर शाम से रात तक के बीच की सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए तो मामले का पर्दाफाश हो जाएगा। लक्ष्मीनारायण सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सख्ती के बाद अब एंबुलेंस चालकों के माध्यम से मरीजों को बहलाकर निजी अस्पताल ले जाने का खेल एम्स में भी शुरू होने लगा है।
मामले को लेकर एम्स प्रशासन गंभीर
एम्स परिसर और इमरजेंसी के सामने निजी अस्पतालों की एंबुलेंस खड़ी रहती हैं। कई बार आईपीडी (इनपेशेंट डिपार्टमेंट) से भी मरीजों को निजी अस्पताल ले जाने के मामले सामने आ चुके हैं। अब गार्ड की ही मिलीभगत की शिकायत से एम्स प्रबंधन गंभीर हो गया है। प्रबंधन के सूत्रों की मानें तो सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू हो गई है।
व्हीलचेयर के लिए भी किल्लत
बृहस्पतिवार रात में इमरजेंसी पहुंचे मरीज के परिजन ने जिम्मेदारों से व्हीलचेयर मांगी तो गार्ड ने पहले नर्स से पर्चा बनवाने की शर्त रख दी। आरोप है कि गार्ड लगातार कहते हैं, यहां अच्छा इलाज नहीं मिलेगा। उसी रात देवरिया से आए एक अन्य मरीज को भी निजी अस्पताल भेजा गया, जिसके साथ एक गार्ड गेट तक गया।एम्स में मरीजों के बेहतर उपचार के लिए प्रबंधन का प्रयास रहता है। नई फैकल्टी और कुछ नई नियुक्तियां भी कराई जाएंगी, जिससे उपचार में और सहूलियत मिलेगी। आरोपों की जांच कराई जा रही है। बार-बार आरोप लगने से छवि खराब होती है – डॉ. विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक







