Thursday, November 20, 2025
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दरगाह साबिर पाक पिरान कलियर की प्रबंधक रजिया बेग ने दिया इस्तीफा अनियमितताओं के आरोप

मुख्य कार्यपालक अधिकारी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड देहरादून की 28 अक्तूबर 2025 की जांच रिपोर्ट में रजिया बेग के कार्यकाल में ठेकों की प्रक्रिया में धनराशि वसूली और लेखांकन व्यवस्था में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। रिपोर्ट में पाया गया कि कई ठेके ई-निविदा की शर्तों का पालन किए बिना स्वीकृत किए गए। परफॉर्मेंस सिक्योरिटी राशि लिए बिना ही ठेकेदारों को चार्ज सौंप दिया गया जिससे दरगाह को प्रत्यक्ष वित्तीय नुकसान पहुंचा। दरगाह साबिर पाक पिरान कलियर की प्रबंधक रजिया बेग पर गंभीर वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोपों के बीच उन्होंने परिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र जिलाधिकारी हरिद्वार को सौंप दिया है। इसे जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही उन्हें प्रबंधक पद से कार्यमुक्त कर दिया गया है।

आयकर अधिनियम एवं विभागीय नियमों का उल्लंघन भी पाया गया
जांच में यह भी उजागर हुआ था कि दो ठेकेदारों से 10,88,578 रुपये की राशि अब तक प्राप्त नहीं की गई जबकि 2,33,98,999 रुपये की बड़ी बकाया वसूली भी नहीं की गई। इसे जांच अधिकारी ने गंभीर लापरवाही करार दिया। वहीं दरगाह के बैंक खातों में दो लाख से अधिक नकद जमा कर आयकर अधिनियम एवं विभागीय नियमों का उल्लंघन भी पाया गया।स्टॉक रजिस्टर एवं लेखा पुस्तकों में गड़बड़ियां, ठेकेदारों की अनियमितताओं को छिपाने के प्रयास व नकद प्राप्तियों और वास्तविक आय में अंतर भी जांच में सामने आया था। इन आरोपों के आधार पर जिलाधिकारी ने रजिया बेग के सभी वित्तीय अधिकार पहले ही रोक दिए थे। एक सप्ताह के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए थे।

संतोषजनक जवाब न मिलने की स्थिति में विभागीय कार्रवाई की तैयारी भी की जा रही थी। इस बीच रजिया बेग ने 18 नवंबर को अपने पद से त्यागपत्र सौंप दिया। इसे स्वीकार करते हुए जिलाधिकारी ने उनके सभी कार्य तत्काल प्रभाव से रोक दिए हैं। आदेश के अनुसार अब दरगाह की समस्त वित्तीय व प्रशासनिक निगरानी का दायित्व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को सौंप दिया गया है।साथ ही दरगाह से संबंधित सभी फाइलें, अभिलेख, लेखा पुस्तकें और सरकारी सामग्री ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को तत्काल हस्तांतरित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि भुगतान, वसूली या धनराशि लेनदेन से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया अब केवल ज्वांइट मजिस्ट्रेट की स्वीकृति के बाद ही की जाएगी।

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