जर्जर काया, पिचका डीजल टैंक व बोनट और हर मोड़ पर दम तोड़ने के लिए तैयार टायर ऐसे वाहन जब 12 से 15 मिनट में ही परीक्षण के 48 मानक पास कर सड़क पर दौड़ने लगें तो तकनीक ही नहीं नीयत पर भी सवाल खड़ा होता है। रुद्रपुर रोड पर बेलबाबा मंदिर के पास स्थित ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) में फिटनेस की मशीनें भले आधुनिक हों लेकिन 25 से 37 साल पुराने वाहन परीक्षण की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सेंटर के रिपोर्ट की मानें तो जांच के बाद पास हुए ये वाहन न प्रदूषण फैलाते हैं और न ही हिलते-डुलते हैं।
चार दिन में 350 वाहनों में से 50 ही फिटनेस टेस्ट में फेल
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों के फिटनेस परीक्षण की फीस कई गुना बढ़ा दी। विरोध होने पर उत्तराखंड सरकार ने वृद्धि पर रोक लगा दी। इसके बाद रामपुर रोड स्थित ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन को हर दिन भारी वाहनों के लिए 92 से 100 और छोटे वाहनों के लिए करीब 150 स्लॉट मिले। बीते चार दिनों की बात करें तो कुल 350 वाहनों का फिटनेस परीक्षण हुआ जिनमें सिर्फ 50 वाहन फेल हुए। इसमें छोटी गाड़ियों की संख्या ज्यादा है। परीक्षण के लिए पहुंचे करीब 250 भारी वाहनों में से लगभग 40 प्रतिशत गाड़ियां वर्ष 1988 से 1995 के बीच की हैं। इससे स्पष्ट है कि कोई वाहन 37 साल तो कई 25 साल पुराने हैं।
सर्वर ने दिया धोखा तो लग गई लंबी कतार
ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन पर फिटनेस के लिए वाहनों को सर्वर की वजह से सुबह से शाम तक खड़े होना पड़ा। सर्वर धीमे चलने के कारण गाड़ियों का परीक्षण धीमा हो गया। 92 से 100 के स्लॉट के बाद भी आठ से दस वाहनों का ही फिटनेस टेस्ट हो सका।एटीएस का नियमित निरीक्षण किया जाता है। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है। यहां वाहनों की जर्जर स्थिति के अलावा रिफ्लेक्टर आदि लगाने का कार्य हो रहा है तो इसकी भी जांच की जाएगी। जल्द ही यहां टीम भेजकर गहनता से छानबीन 66 करेंगे। किसी भी तरह की अनियमितता मिलने पर कड़ी कार्रवाई तय है। – डॉ. गुरदेव सिंह, आरटीओ
छोटे वाहनों का 10 से 12 और बड़ी गाड़ियों का 12 से 15 मिनट का 48 बिंदुओं पर परीक्षण किया जाता है। यहां आने वाले वाहनों को 66 जांच के बाद ही फिटनेस में पास राजू जोशी, किया जाता है। – एटीएस सेंटर इंचार्ज
गेट पर ही दुरुस्त हो रहीं खामियां
एटीएस के गेट पर ही वाहनों की खामियां दूर कर दी जा रही हैं। मुख्य गेट पर रिफ्लेक्टर लगाने का प्रचार बोर्ड है तो लाइन में लगते ही डंपर के पीछे रिफ्लेक्टर लगाने का कार्य किया जा रहा है। यदि रिफ्लेक्टर नहीं लगा मिला तो वाहन फिटनेस में फेल हो सकता है। देखा जाए तो खामियां भी गेट पर दुरुस्त की जा रही हैं। सेंटर के गेट से कुछ दूरी पर वेल्डिंग की दुकानें भी हैं। यहां पूरे दिन कोई टूटे बोनट को जुड़वाता तो कोई गाड़ी की हिलती बॉडी को रोकने के लिए वेल्डिंग कराता नजर आ जाएगा।







