जीबी पंत कृषि विवि पंतनगर की शोधार्थी व वर्तमान फुटवियर डिजाइन एवं विकास संस्थान चंडीगढ़ में सहायक प्राध्यापक डॉ. पूजा ने बेस कपड़े पर फाल्कोनेरिया इंसिग्निस का उपयोग कर रोगाणुरोधी फिनिश (सतह) बनाने में सफलता हासिल की है। इस विशेष कपड़े को संग्रहालय में शोकेस के लिए आधार सामग्री के रूप में डिजाइन किया गया है। यह कपड़ा अमूल्य कलाकृतियों को सुरक्षा देगा। विवि को इस नई तकनीक का पेटेंट भी हासिल हो गया है।डॉ. पूजा ने जीबी पंत कृषि विवि स्थित सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की डीन डॉ. अल्का गोयल और प्राध्यापक डॉ. मानविका सहगल के मार्गदर्शन में अपनी पीएचडी पूरी की थी।डॉ. पूजा ने बताया कि सूक्ष्मजीवों के विकास की संभावना वाली पर्यावरणीय परिस्थितियों में नाजुक कलाकृतियों का संरक्षण न हो पाना बहुत बड़ी समस्या है। इसका संग्रहालय और दीर्घाएं वैश्विक स्तर पर सामना करते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए फाल्कोनेरिया इंसिग्निस के प्राकृतिक गुणों का उपयोग कर कपड़े पर नई रोगाणुरोधी सतह तैयार की गई है।
क्या है फाल्कोनेरिया इंसिग्निस
यह एक पौधा है, जो अपनी मजबूत रोगाणुरोधी गतिविधि के लिए जाना जाता है। फाल्कोनेरिया इंसिग्निस से बायोएक्टिव घटकों को अलग कर उपचारित केसमेंट फैब्रिक (कलाकृतियों के लिए एक सुरक्षित आवास) तैयार किया गया है, जो बैक्टीरिया, कवक और अन्य रोगाणुओं के विकास को रोकता है। इस रचनात्मक दृष्टिकोण के दो फायदे हैं। पहला…संग्रहालय में कलाकृतियों के संरक्षण में सुधार करता है। दूसरा… यह पारंपरिक रासायनिक उपचारों के लिए एक स्थायी विकल्प देता है।
विशेषताएं और लाभ
कलाकृतियों को सूक्ष्मजीवी क्षरण से बचाता है
उनकी अखंडता को बनाए रखता है।
सिंथेटिक रोगाणुरोधी की तुलना में पौधे आधारित अर्क का उपयोग करता है।
लंबे समय तक रोगाणुरोधी बना रहता है।
कपड़े को रोगाणुरोधी सुरक्षा देता है
डॉ. पूजा ने बताया कि अब तक संग्रहालयों में वस्त्रों को संरक्षित करने के लिए काली मिर्च और लौंग जैसे खाद्य स्रोतों का उपयोग किया जाता था। पौधे से निकाला गया किफायती रोगाणुरोधी फिनिश खाद्य संसाधनों को बचाने में भी मदद करेगा। उपचारित कपड़ों को सुखाया गया और इसके भौतिक गुणों का परीक्षण किया गया। पाया गया कि फाल्कोनेरिया इंसिग्निस पत्तियों का मेथनॉलिक अर्क कपड़े को रोगाणुरोधी सुरक्षा देता है। यह किफायती भी है। इसका इस्तेमाल संग्रहालयों में कलाकृतियों को रखने के लिए आधार कपड़े के रूप में किया जा सकता है।
विरासत के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगी तकनीक: कुलपति
पंतनगर विवि के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चैहान ने टीम को बधाई दी है। कहा कि इसका पेटेंट 24 नवंबर को मिल गया है। संस्थान इस तकनीक को अपने प्रदर्शन और भंडारण प्रणालियों में शामिल कर सांस्कृतिक सामग्री की बेहतर सुरक्षा कर सकते हैं। इस पेटेंट से जीबी पंत कृषि विवि दुनिया की वास्तविक चुनौतियों का समाधान करने वाले अनुसंधान और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।







