Sunday, September 21, 2025
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भारतीय रिजर्व बैंक को 90 साल पूरे हुए

आरबीआई ने हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों के आधार पर 1 अप्रैल, 1935 को परिचालन शुरू किया था. सर ओसबोर्न स्मिथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे, जिन्होंने 1 अप्रैल, 1935 से 30 जून, 1937 तक सेवा की. एक पेशेवर बैंकर, उन्होंने 1926 में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध गवर्नर के रूप में भारत आने से पहले बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स में 20 से अधिक वर्षों तक और कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में 10 वर्षों तक सेवा की. भारत के विभाजन के बाद, RBI ने जून 1948 तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में काम किया, जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने परिचालन शुरू किया.भारतीय सिविल सेवा के सदस्य सर बेनेगल रामा राउ आरबीआई के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गवर्नर थे, उन्होंने अगस्त 1949 से जनवरी 1957 तक सेवा की.


16 सितंबर, 1982 से 14 जनवरी, 1985 तक आरबीआई गवर्नर रहे मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री और फिर प्रधान मंत्री (2004-2014) बने. 2018 में, उर्जित पटेल 43 वर्षों में इस्तीफा देने वाले पहले गवर्नर बने. संभवतः आरबीआई के सरप्लस डिस्ट्रीब्यूशन के संबंध में सरकार के साथ मतभेद के कारण इस्तीफा दिया. शक्तिकांत दास जो आरबीआई के 25वें गवर्नर बने. इस साल दिसंबर में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने के बाद सर बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गवर्नर बनने के लिए तैयार हैं. बर्मा (अब म्यांमार) 1937 में भारतीय संघ से अलग हो गया, लेकिन आरबीआई ने बर्मा पर जापानी कब्जे तक और बाद में अप्रैल 1947 तक बर्मा के लिए केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य करना जारी रखा.
विकास यात्रा
शुरूआत में, आरबीआई ने भारत में डेवलपमेंटल भूमिका निभाई जो उस वक्त स्वतंत्र हुआ था. प्रारंभिक ध्यान कृषि पर था, योजना अवधि की शुरुआत के साथ, आरबीआई ने विकास के लिए वित्त का उपयोग करने की अवधारणा को आगे बढ़ाया इसने देश के वित्तीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए भारतीय जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक जैसे कई संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
आरबीआई की अबतक की जर्नी
1 अप्रैल, 1935- आरबीआई की शुरूआत
1949- RBI, मूल रूप से एक शेयरधारक के बैंक के रूप में स्थापित, नेशनलाइज्ड हो गया. इसी साल, भारतीय रुपये का पहली बार डिवैल्यूशन किया गया. 1966 में और फिर 1991 में रुपये का फिर से अवमूल्यन किया गया.
1966– आरबीआई ने कॉपरेटिव बैंकों का रेगुलेट करना शुरू किया.
1969- 14 प्रमुख बैंकों का नेशनलाइजेशन हुआ
1973- विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA), 1973, विदेशी मुद्रा के संरक्षण के लिए लागू हुआ.
1977- मुद्रा आपूर्ति की एक नई श्रृंखला एम1, एम2, एम3 की अवधारणाओं का परिचय देती है.
1985– मौद्रिक प्रणाली के कामकाज की समीक्षा के लिए एस चक्रवर्ती समिति का गठन किया गया
1988– अधिकतम उधार दर खत्म किया गया. बैंक ग्राहकों से उनके क्रेडिट रिकॉर्ड के अनुसार शुल्क लेने के लिए स्वतंत्र हैं
1991– भुगतान संतुलन संकट के बीच, आरबीआई ने भंडार बढ़ाने के लिए सोना गिरवी रखा है.
1993– निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए दिशानिर्देश जारी, 10 नये बैंक स्थापित किये गये
1997– आरबीआई और भारत सरकार राजकोषीय घाटे के ऑटोमैटिक मोनेटाइजेशन को समाप्त हुए.
1999– नकदी पर दबाव कम करने के लिए डेबिट कार्ड पर दिशानिर्देश जारी. इसी साल विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा के लिए FERA की जगह लिया.
2001- इंटरनेट बैंकिंग दिशानिर्देश जारी
2007- भुगतान और निपटान प्रणाली के लिए नियामक बन गया
2014- एक दशक बाद दो नए बैंक लाइसेंस जारी
2015– भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक स्थापित करने के लिए विभेदित बैंक लाइसेंस जारी किया गया.
2016– UPI पायलट लॉन्च किया गया. इसी साल मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को अनिवार्य बनाकर मौद्रिक नीति समिति का गठन किया गया. साथ ही केंद्रीय बोर्ड ने काले धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी के विवादास्पद फैसले को मंजूरी दे दी, जिससे एक ही झटके में प्रचलन में 87 फीसदी मुद्रा अमान्य हो गई.
2019-2020- एनईएफटी और आरटीजीएस 24x7x365 आधार पर कार्य करते हैं.
2022- पहली बार मुद्रास्फीति अधिदेश को पूरा करने में विफल. इसी साल केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के लिए पायलट शुरू करता है.

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