देहरादून। इन दिनों दूवभूमि उत्तराखंड की राजधानी में हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है। ड्रामा जिसके किरदार में सरकार है। मंत्री और मेयर हैं। जिनके पास सत्ता की लाठी है। पुलिस और प्रशासन है। जो कानून की ताकत से लैस है। गलत को गलत और सही को सही कहने और करवाने का फरमान इनके पास है। तभी तो भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट और प्रशासन की नजर में शातिर अपराधी किस्म के विकेश नेगी को अपराधियों की तरह ढोल-नगाढ़ों के साथ बेइज्ज्त कर जिला बदर कर डाला। पुलिस ने प्रशासन के आदेश पर विकेश नेगी को देहरादून जिले की सीमा से बाहर कर डाला।
इसी को लेकर आरटीआई क्लब, उत्तराखंड के अध्यक्ष डा. बीपी मैठाणी और अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट्स ने देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका से मुलाकतकी और पूछ लिया। विकेश नेगी को आपने क्यों किया जिला बदर? हालांकि जिलाधिकारी के स्तर पर पुलिस रिपोर्ट्स को ही आधार बनाकर कार्रवाई की बात कही जा रही है।
डॉ. मैठाणी के अनुसार अब क्या सही है और क्या गलत? ये तो जांच का विषय है। लेकिन इसको लेकर उत्तराखंड के वकील, आरटीआई एक्टिविस्ट और बुद्धिजीवी लामबंद हैं..क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां दाल में कुछ काला है। मंत्री और मेयर पर आरटीआई के माध्यम से विकेश नेगी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं तो इसकी उच्च स्तरीय जांच तो होनी ही चाहिए। अगर विकेश नेगी को किसी राजनीतिक दबाब में आकर साजिशन जिला बदर किया गया है तो इसका जवाब भी देना ही होगा। उन्होंने अपनी बात से जिलाधिकारी को अवगत करा दिया है। उनके अनुसार, इस सम्बन्ध में वकील विकेश नेगी से फोन पर उनकी बात हुई है। उनका कहना है कि उन पर जितने भी आरोप है वे न्यायलायों में झूठे साबित हुए है और क्योंकि उन्होने प्रदेश में उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को आरटीआई कानून को माध्यम से उजागर किया है। इसलिए उन्हें प्रशासन द्वारा दण्डित किया गया है। उन्होने हाल ही में प्रतिष्ठित सैन्य धाम के निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया है। कुछ समय पहले उन्होंने देहरादून नगर निगम के महापौर और पार्षदों के भ्रष्टाचार को भी उजागर किया है। हम यह देख रहे है कि सरकार ने इन हाइप्रोफाइल घोटालों पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
ये देखते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट कह रहे हैं कि विकेश नेगी द्वारा भ्रष्टाचार के किए गए बड़े-बड़े खुलासों से शासन और प्रशासन असहज हुआ है। इसलिए उन्हे अपमानित करते हुए ढोल नगाड़े के साथ जिला बदर किया गया है। यदि वे एक असमाजिक व्यक्ति है, जिनके विरूद्ध कई मुकदमें दर्ज है तो उनका जिला बदर पहले भी हो सकता था। यह कदाचित सही नहीं हुआ है क्योंकि सूचना का अधिकार का प्रयोग कर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध नहीं है, बल्कि यह इस कानून का मुख्य उद्देश्य है।
आरटीआई क्लब, उत्तराखंड के प्रतिनिधिमंडल में शामिल अध्यक्ष डा. बीपी मैठाणी, महासचिव अमर एस धुंता, सचिव यज्ञ भूषण शर्मा, सचिव शांति प्रसाद भट्ट, सुरेंद्र सिंह थापा, ए एन अग्रवाल, काण्डपाल, अजय नारायण शर्मा ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि विकेश सिंह नेगी को जिला बदर करने के आदेश पर पुनः विचार कर उसे निरस्त किया जाए। जिससे उनका उत्पीड़न बंद हो। यदि उनके विरूद्ध कोई अपराधिक प्रकरण गतिमान हैं तो उन्हें सामान्य विधिक तरीकों से निस्तारित करने का कष्ट करें।
डीएम से RTI एक्टिविस्ट्स ने पूछा, विकेश नेगी को आपने क्यों किया जिला बदर?
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