परमार्थ निकेतन में आयोजित 37वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में विशेष योगाभ्यास के साथ दूसरे दिन का शुभारंभ हुआ। योग जिज्ञासुओं ने अष्टांग योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, गंगा योग, ध्यान, मुद्रा आदि का अभ्यास किया। इसमें 60 देशों के 1200 से अधिक योग जिज्ञासु शामिल हुए हैं। आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि ऋषिकेश योग की वैश्विक राजधानी है। योग केवल वह नहीं जो हम करते हैं, बल्कि वह है जो हम हैं। यह वह विधा है, जो संपूर्ण पृथ्वी पर एकता, अहिंसा, प्रेम और शांति का संचार करती है। डाॅ. साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि आज की दुनिया में हर दिन नए विवाद, संघर्ष और विभाजन के समाचार सुनने को मिलते हैं।
अगर हम खुद को पृथ्वी से अलग मानते हैं, तो हम न केवल खुद को, बल्कि पूरी सृष्टि को कष्ट पहुंचाते हैं। योग वह आंतरिक साधना है, जो हमें इस विभाजन से ऊपर उठाकर, परमात्मा से हमारे संबंध को पुनः स्थापित करती है।श्री गौरांग दास प्रभु ने कहा कि योग का वास्तविक उद्देश्य केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं है, बल्कि यह आत्मा का परम ब्रह्म से मिलन का एक दिव्य मार्ग है। योग, हमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी पूरी तरह से सशक्त बनाता है।योगाचार्य गुरमुख कौर खालसा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव केवल एक योग महोत्सव नहीं है, यह दुनिया भर के योग प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव है, जो आत्मा की गहराइयों में उतरने का अवसर प्रदान करता है। योगाचार्य स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट ने कहा के योग का असली सार भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में निहित है। अमेरिका की योगाचार्य एरिका काफमैन ने कहा कि योग से हम जीवन की सच्चाई से रूबरू होते हैं।
इन देशों के योग जिज्ञासु और योगाचार्य कर रहे प्रतिभाग
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेलारूस, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, क्रोएशिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फ्रांस, जर्मनी, घाना, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड, इस्राइल, इटली, जापान, लेबनान, लिथुआनिया, मेक्सिको, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, पेरू, पुर्तगाल, रोमानिया, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, उरुग्वे, नार्वे आदि