Sunday, October 19, 2025
Google search engine

advertisement
Homeउत्तराखण्डकहा-पहले भी बन चुकी ऐसी स्थिति कब मनाया जाएगा त्योहार धर्मनगरी के...

कहा-पहले भी बन चुकी ऐसी स्थिति कब मनाया जाएगा त्योहार धर्मनगरी के ज्योतिषियों ने दूर किया भ्रम

दिवाली मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसे में धर्मनगरी हरिद्वार के ज्योतिषियों ने इस भ्रम को दूर किया। हिंदू व्रत, पर्व और त्योहारों को लेकर लगभग हर वर्ष बनने वाली असमंजस की स्थिति इस बार भी दीपावली को लेकर बनी हुई है। इस भ्रम को दूर करने के लिए अमर उजाला ने धर्मनगरी के पुरोहितों और ज्योतिषविदों से वार्ता कर स्थिति स्पष्ट की है। विद्वानों के सर्वसम्मत मत के अनुसार जिस वर्ष प्रतिपदा का मान अधिक होता है उस दिन अमावस्या और प्रतिपदा युक्त दीपावली होती है। ऐसे में इस बार 21 अक्तूबर को ही दीपावली पूजन किया जाएगा।धर्मनगरी में स्थित भारतीय प्राच विद्या सोसायटी के ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि इस बार दीपावली अमावस्या और प्रतिपदा युक्त होगी। ऐसा संयोग कभी-कभी आता है जब तिथियों के मान में भिन्नता के कारण मतभेद होता है। उन्होंने बताया कि पिछली बार की तरह इस बार भी दीपावली 20 या 21 अक्तूबर को होगी यह असमंजस की स्थिति करीब 62 वर्षों में आई है।

शुभ मुहूर्त और पूजन अवधि
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार इस बार दीपावली पूजा 21 अक्तूबर को सूर्य अस्त (शाम 5:40 बजे) के बाद 2 घंटे 24 मिनट तक किया जा सकता है। ऐसे में लोग रात 8:04 बजे तक पूजन कर सकते हैं। इसमें भी शाम 7:15 बजे से रात 8:30 तक लाभ की चौघड़िया में लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है जो कि शुभ रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गृहस्थ लोग 21 अक्तूबर को पूजन करेंगे। वहीं जो लोग तंत्र पूजा करते हैं (कापालिक, वाममार्गी) वे समस्त तंत्र साधन गुरु द्वारा बताई गई तिथि में करेंगे।

पंचांग के अनुसार 21 को ही दीपावली
तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने कहा कि संशय के बीच शास्त्राज्ञा अंतिम निर्णय 21 अक्तूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय देता है। धर्मनिष्ठ लोग सूर्यास्त के बाद अल्पकालिक व्याप्त अमावस्या के बावजूद सायंकाल से प्रदोषकाल तक (अर्थात सूर्यास्त से आधा घंटा पहले और सूर्यास्त के बाद लगभग 02 घंटा 24 मिनट तक) की कालावधि में निसंदेह लक्ष्मी पूजन मंगलवार को कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि धर्मसिन्धु, निर्णय सिन्धु, श्री गंगा सभा पंचांग भी इसकी अनुमति देते हैं।

पहले भी बन चुकी है ऐसी स्थिति
प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि दीपावली त्योहार में तिथि की वजह से मत अलग-अलग होते रहे हैं। 1962 और 1963 में भी ऐसा ही हुआ था। यहां तक कि 1963 में दीपावली 17 अक्टूबर की थी लेकिन भाईदूज एक महीने के बाद मनाई गई थी क्योंकि बीच में अधिक मास आ गया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 1900 (23 अक्तूबर) और 1901 (11 नवंबर) को भी ऐसी ही स्थिति रही थी जब दीपावली के दिन रात में अमावस नहीं थी।इसका मूल कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जब भी प्रतिपदा का मान अमावस्या और चतुर्दशी से ज्यादा होता है तो प्रतिपदा से युक्त दीपावली होती है। इस बार भी अमावस्या का कुल मान 26 घंटे 10 मिनट तक है जबकि प्रतिपदा 26 घंटे 20 मिनट तक होगी और चतुर्दशी 25 घंटे 53 मिनट तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या और प्रतिपदा युक्त दीपावली मानी जाएगी जिससे यह स्पष्ट है कि 21 अक्तूबर को प्रतिपदा युक्त अमावस्या में दीपावली मनाई जाएगी।

spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments