इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरेली के सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह और झोलाछाप नियंत्रण सेल के नोडल अधिकारी डॉ. अमित कुमार के 14 और 15 नवंबर के आदेशों को निरस्त कर दिया है। उन्होंने बिना सुनवाई स्टाफ नर्स को हटा दिया था। जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच ने कहा कि डॉ. सिंह और डॉ. कुमार ने जो आदेश दिए हैं, वे न सिर्फ गैरकानूनी हैं, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का खुलेआम कत्ल है। बिना वजह का आदेश मृतप्राय और जीवनहीन होता है। ऐसे अफसरों की यह मनमानी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ये दोनों अधिकारी भूल गए कि कर्मचारी को बोलने व बचाव करने का हक है। न नोटिस, न सुनवाई, न कारण, बस फाइल पर कलम घुमाई और कर्मचारी सड़क पर यह फासीवाद नहीं तो और क्या है? हाईकोर्ट ने मामले को वापस भेज दिया है। अब डॉ. विश्राम सिंह और डॉ. अमित कुमार को खुली सुनवाई करनी होगी। स्टाफ नर्स को मौका देना होगा और लिखित में कारण बताते हुए आदेश पारित करना होगा।
नर्स को हटाने का दिया था आदेश
शीशगढ़ में तैनात स्टाफ नर्स सुमन लता को बिना नोटिस, बिना सुनवाई और स्पष्टीकरण के हटाने का आदेश दिया था। नर्स ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट ने इसे न्याय की हत्या और मनमानी की पराकाष्ठा बताया है।







