Sunday, September 21, 2025
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कहा-ज्योति से ज्योति को जलाकर देश और दुनिया को जगमगाना है लोकसभा अध्यक्ष ने ज्योति कलश यात्रा में की शिरकत

हरिद्वार (उत्तराखंड)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज में तीन दिवसीय ज्योति कलश यात्रा सम्मेलन का उद्घाटन किया। लोकसभा अध्यक्ष का देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने राजस्थानी साफा एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने देश की सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों की याद में बने शौर्य दीवार में पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ज्योति कलश यात्रा निश्चित ही एक बहुत बड़ा कार्य है। कहा कि अखंड ज्योति पूरे देश के अंदर प्रचंड ज्योति की तरह आध्यात्मिक संस्कृति ज्ञान और गुरुदेव के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि ज्योति से ज्योति को जलाकर देश-दुनिया को जगमगाना है। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ज्योति कलश यात्रा के माध्यम से जो जन जागरण का कार्य होने जा रहा है। यह निश्चित ही एक बहुत बड़ा कार्य है. अपने मन में एक संकल्प हो कि ज्योति से ज्योति का जलाना है। देश और दुनिया को जगमगाना है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृति आध्यात्मिक गंगा मां की यह धरती आचार्य श्रीराम शर्मा आचार्य, वंदनी माता, भगवती देवी की यह धरती शांतिकुंज से अखंड ज्योति यात्रा निकाली है। यह अखंड ज्योति यात्रा माता जी के 100 साल होने पर पूरे देश के अंदर प्रचंड ज्योति की तरह आध्यात्मिक संस्कृति ज्ञान और गुरुदेव के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएगी। लोगों के चरित्र निर्माण भारत की संस्कृति को बचाने और बुराइयों को समाप्त करते हुए नए चरित्र निर्माण के लिए यह यात्रा जन-जन में निकलेगी। आशा है कि साल 2026 तक जब यह यात्रा माताजी के 100 वर्ष पूर्ण होने पर फिर आएगी तो करोड़ों के जीवन को बदलने का काम गायत्री परिवार के लोग करेंगे। गायत्री परिवार आज देश में नहीं पूरे विश्व के अंदर भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति ज्ञान और गुरुदेव के संदेश को पहुंचा रहा है। लोकसभा अध्यक्ष ने गणेश चतुर्थी की पूरे देशवासियों को शुभकामनाएं दी। वहीं ओम बिरला ने अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं शैलजीजी से शांतिकुंज जाकर भेंट की और विभिन्न विषयों पर चर्चा की। वहीं कलश यात्रा में राजस्थान, पं० बंगाल, असम, अरुणाचल आदि प्रांतों से 1200 से अधिक साधकों ने प्रतिभाग किया।

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