तिब्बत के गोलमुड क्षेत्र में चीन की मिसाइल तैनाती और निर्माण गतिविधियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। सैटेलाइट इमेज के विश्लेषण से पता चला है कि चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) के तहत यहां एक नई मिसाइल ब्रिगेड स्थापित की है, जो लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए रणनीतिक लाभ पहुंचाती है।विश्लेषकों के अनुसार, नए सैन्य परिसर में कई लॉन्च पैड, उच्च सुरक्षा शेल्टर और परिवहन-लॉन्चर (टीईएल) के लिए सहायक हैं। यह बेस 64 के तहत काम करेगा और किंगहाई-तिब्बत पठार की ऊंचाई से दक्षिण और मध्य एशिया में मिसाइल लॉन्च करना आसान बनाएगा।
यह कदम चीन की परमाणु और पारंपरिक मिसाइल क्षमताओं के विस्तार और आधुनिकीकरण का हिस्सा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विस्तार न केवल भारत, बल्कि ताइवान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी हितों के लिए भी सुरक्षा चुनौती है। यह कदम तिब्बत के पठार को सैन्य लॉन्चपैड में बदल रहा है और पूरे एशिया में स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर रहा है।चीन अमेरिकी सैन्य ठिकानों को आसानी से बना सकता है निशाना डीएफ-26, जिसे ‘गुआम किलर’ भी कहा जाता है, बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज लगभग 4,000 किमी है। यह मिसाइल परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के वारहेड्स से लैस हो सकती है।चीन की यह पहली ऐसी मिसाइल है, जो अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती है। रणनीतिक महत्व…गोलमुड की भौगोलिक स्थिति इसे दक्षिण और मध्य एशिया में लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए एक आदर्श लॉन्चपैड बनाती है।
गोलमुड बेस में डीएफ-26 मिसाइल तैनात करेगा चीन
अमेरिका के रक्षा विभाग की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, चीन 2030 तक 1,000 परमाणु वारहेड तक पहुंच सकता है। गोलमुड बेस में डीएफ-26 मिसाइल तैनात होने की संभावना है, जो 4,000 किमी तक की दूरी पर परमाणु और पारंपरिक हमले कर सकती है। सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि बेस में कई जुड़ी हुई लॉन्च जोन हैं, जो रोड-मोबाइल मिसाइल ब्रिगेड के लिए विशिष्ट हैं, और बेस की मोबिलिटी और सुसंगतता को बढ़ाती हैं। स्थानीय सूत्रों और रक्षा विश्लेषकों ने 2024-25 में क्षेत्र में कई सैन्य अभ्यास भी नोट किए हैं।







