नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक सरकार को विभिन्न कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षाएं कराकर छात्रों को प्रताड़ित किए जाने के लिए फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने उसे अगले आदेश तक आठवीं, नौवीं और 10वीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी। इस संबंध में जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने निर्देश दिया कि यदि किसी भी जिले में परीक्षा नहीं कराई गई है तो इसे नहीं कराया जाए। साथ ही पीठ ने कर्नाटक सरकार की ओर से प्रस्तुत हुए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत से कहा कि आप छात्रों को प्रताड़ित क्यों कर रहे हैं? आप सरकार है। कोर्ट ने कहा कि आपको इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। इसे अहम मुद्दा मत बनाएं। यदि आपको छात्रों की भलाई की सही में चिंता है तो कृपया अच्छे स्कूल खोलिए। उनका गला मत घोटो।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि कर्नाटक सरकार जिस पद्धति का प्रयोग कर रही है, ऐसा कोई भी अन्य राज्य नहीं करता। वहीं वकील कामत ने कहा कि राज्य सरकार ने सात ग्रामीण जिलों में मौजूदा अकादमिक साल में 5वीं, 8वीं,9वीं और 10वीं कक्षाओं के स्टूडेंट के लिए बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए एक परिपत्र वापस ले लिया है। कोर्ट को बताया गया कि 24 अन्य जिलों में परीक्षाएं कराई गईं। इस पर उसने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर परीक्षा की वास्तविक जानकारी देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा। कर्नाटक हाई कोर्ट के 22 मार्च के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड स्कूल्स द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा है। इस बारे में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के छह मार्च के आदेश को पलटते हुए राज्य सरकार को अकादमिक वर्ष 2023-24 के लिए विभिन्न क्लास के लिए बोर्ड परीक्षाएं कराने की अनुमति प्रदान की थी। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने कर्नाटक राज्य परीक्षा और मूल्यांकन बोर्ड (KSEB) के माध्यम से विभिन्न कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षाएं कराने के राज्य सरकार के अक्टूबर 2023 के निर्णय को रद्द कर दिया था।







