52 साल पुराना रामनगर का कोसी बैराज कमजोर होने लगा है। हर बरसात में आने वाली बाढ़ से बैराज पर सिल्ट, आरबीएम काफी जमा हो गया है। इससे कोसी बैराज पर खतरा बढ़ गया है। इस बरसात में यदि बाढ़ आई तो कोसी बैराज को नुकसान पहुंचने का अंदेशा है। वहीं सिंचाई विभाग ने सिल्ट, आरबीएम हटाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
2 फरवरी 1972 को रामनगर में कोसी नदी पर बैराज बनाया गया था। यहां से तीन मुख्य नहरें रामनगर-चिलकिया, बेलगढ़ नहर और जस्सागांजा से रामनगर के ग्रामीण इलाके की हजारों एकड़ भूमि में सिंचाई होती है। रामनगर नहर से 6600, चिलकिया नहर से 5700 और जस्सागांजा नहर से 1880 एकड़ जमीन पर सिंचाई होती है। रामनगर के ग्रामीण क्षेत्रों में नहरें ही सिंचाई का मुख्य जरिया हैं। हर साल बरसात में कोसी नदी में बाढ़ आती है और बैराज पर सिल्ट, आरबीएम जमा होता है। कुछ सालों से कोसी बैराज में काफी मात्रा में सिल्ट, आरबीएम जमा हो गया है। इस कारण बैराज पर पानी का स्टोरेज भी कम हो गया है और सिंचाई नहरों में एक दिन छोड़कर पानी छोड़ा जाता है।
सिंचाई विभाग को भेजा है प्रस्ताव
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने अमित गुप्ता ने बताया कि विभाग की ओर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। वर्ष 2021 के 18, 19 अक्तूबर में आयी भीषण बाढ़ से कोसी नदी का जलप्रभाव दो भागों में बट गया है। इससे बैराज के बायें क्षेत्र में बने गाइड बंध, बाढ़ नियंत्रण कक्ष और दांये क्षेत्र के बंध को खतरा उत्पन्न हो गया है। अत्यधिक बाढ़ आने से बैराज खतरे में आ सकता है। इस समस्या के समाधान के लिए कोसी नदी के जल प्रभाव को मध्य में करने के लिए ड्रेजिंग करना अति आवश्यक है।
जिला आपदा प्रबंधन के तहत हो सकता है कार्य
रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ दिगंथ नायक ने बताया कि कोसी बैराज पर जमा सिल्ट, आरबीएम को नदी के दोनों छोरों पर एकत्र किया जा सकता है। यह कार्य जिला आपदा प्रबंधन की ओर से होने की उम्मीद है। जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में सिंचाई विभाग बैराज की सुरक्षा के लिए मांग कर सकता है।