गंगा और यमुना ने खतरे के निशान पार कर दिया है। जलस्तर खतरे के बिंदु 84.734 मीटर के ऊपर पहुंच गया है। नदियों का उफान अभी जारी है। स्थिति काफी भयावह हो गई है।j रविवार को गंगा का जलस्तर 86 मीटर के करीब पहुंच गया है। बांध में रिसाव के चलते शनिवार देर रात हड़कंप मचा रहा। बालू भरी बोरी डालकर बांध को बचाने की कवायद की जाती रही। गंगा और यमुना के किनारों पर स्थित दो दर्जन से अधिक मुहल्लों के हजारों घर जलमग्न हो गए हैं। अब बाढ़ का पानी शहर के पाश इलाके अशोक नगर, राजापुर की तरफ बढ़ रहा है। पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को भोर से ही हो रही मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और भी भयावह कर दिया है। बाढ़ राहत शिविर में भीड़ काफी बढ़ गई है। दस हजार से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं। यह संख्या और भी बढ़ रही है।
3 अगस्त रविवार को सुबह आठ बजे तक की स्थिति
फाफामऊ – गंगा का जलस्तर 85.49 पहुंच गया है। चार घंटे के भीतर 12 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ा है।
छतनाग गंगा घाट – जलस्तर 84.81 दर्ज किया गया। यहां भी चार घंटे में गंगा 12 सेंटीमीटर बढ़ गई हैं।
फाफामऊ और छतनाग में गंगा के खतरे का बिंदु 84.738 मीटर है। गंगा इसके ऊपर बह रही हैं।
यमुना नदी – नैनी में जलस्तर 85.84 मीटर दर्ज किया गया। यमुना नदी का जलस्तर चार घंटे में 10 सेमी. अधिक दर्ज किया गया है। खतरे का निशान 84.738 है।
बाढ़ पीड़ितों की संख्या में तेजी से इजाफा
गंगा और यमुना का रौद्र रूप जारी है। दोनों नदियों का जलस्तर 85 मीटर को पार कर गया है। जलस्तर में बढ़ोतरी अब भी जारी है और 2013 जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि पीछे की तरफ पानी स्थिर हो गया है। ऐसे में रविवार शाम से दोनों नदियों के स्थिर होने की उम्मीद है।यमुना नदी का जलस्तर शानिवार शाम चार बजे से पहले ही 85 मीटर के पार हो गया। वहीं गंगा का जलस्तर भी शाम छह बजे से पहले 85 मीटर को पार कर गया। इनके अलावा टोंस, ससुरखदेरी समेत अन्य नदियां भी उफान पर हैं।गंगा के अलावा शनिवार की सुबह यमुना के कछारी इलाकों की बस्तियों में भी बाढ़ का पानी भर गया। सैकड़ों परिवारों को राहत शिविर या अपने रिश्तेदारों के यहां जाना पड़ा। प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार नदियों के उफान पर रहने की वजह से 61 गांव व मोहल्ले बाढ़ की चपेट में हैं। शहर में भी करीब चार दर्जन मोहल्ले पूरी तरह से बाढ़ में घिर गए हैं और करीब एक लाख परिवार प्रभावित हुए हैं।
शिविरों में भी राहत नहीं, नाश्ते और खाने को तरसे शरणार्थी
बाढ़ प्रभावित सैकड़ों परिवारों को शिविरों में भी राहत नहीं मिली। मेहबूब अली इंटर कॉलेज में शरणार्थियों को सुबह का नाश्ता नहीं मिला तो भोजन के लिए भी शाम पांच बजे तक इंतजार करना पड़ा। इस तरह की शिकायत अन्य शिविरों में भी रही। एसडीएम सदर अभिषेक सिंह की ओर से खाना और नाश्ता देने वाली एजेंसी को दो नोटिस दिए गए हैं। एजेंसी बदले जाने की भी तैयारी है।शनिवार शाम तक 13 बाढ़ राहत शिविर खुल गए थे। मेहबूब अली इंटर कॉलेज शिविर में सुबह 11 बजे सिर्फ 75 पैकेट नाश्ता पहुंचा जबकि यहां 250 से अधिक शरणार्थी हैं। इतना ही नहीं खाना भी शाम पांच बजे पहुंचा। खाने की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायत रही। मम्फोर्डगंज स्थित सेंट जोसेफ गर्ल्स विंग में भी समय से खाना न पहुंचने की शिकायत रही। इस दौरान एडीएम वित्त एवं राजस्व विनीता सिंह स्कूल का निरीक्षण करने पहुंची थीं। बघाड़ा स्थित एनी बेसेंट स्कूल में भी देर से खाना पहुंचा। उसी समय शिविर के नोडल अधिकारी केके सिंह भी पहुंचे थे। शिविर में पहुंची मेडिकल टीम को लेकर भी शिकायत रही। नोडल अधिकारी ने इस बाबत पूरी रिपोर्ट मांगी और प्रभारी चिकित्सक को बैठने की चेतावनी दी। एडीएम वित्त एवं राजस्व विनीता सिंह का कहना है कि शिविरों में लगातार लोग बढ़ रहे हैं इसलिए खाना पहुंचने में देर हो गई।
एनडीआरएफ, सीडीआरएफ ने संभाली कमान, नावें भी लगाई गईं
बाढ़ का दायरा बढ़ने के साथ एनडीआरएफ और सीडीआरएफ की टीमें भी सक्रिय हो गई हैं। इनके अलावा तहसील प्रशासन की ओर से 30 नावें चलाई गई हैं। इनकी मदद से बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का क्रम जारी है। पार्षदों और क्षेत्र के प्रभावी लोगों को लेखपालों, एनडीआरएफ के अफसरों व नाविकों के मोबाइल नंबर दिए गए हैं। ताकि बाढ़ में घिरे लोग मदद मांग सकें। इनके अलावा सिविल डिफेंस के लोग भी सक्रिय हैं। एसडीएम सदर अभिषेक सिंह का कहना है कि 10 अतिरिक्त नावें भी रखी गई हैं। जरूरत पड़ने पर इन्हें भी चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि शुक्रवार शाम तक चार बाढ़ राहत शिविर शुरू हो गए थे।