इस वर्ष दूसरी बार बरेका (बनारस रेल इंजन कारखाना) में निर्मित दो रेल इंजन मुंबई से जल मार्ग से विदेश भेजे जाएंगे। सितंबर में 3300 एचपी क्षमता के दोनों इंजनों को मोजांबिक भेजने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। गत जून में दो इंजनों का निर्यात किया जा चुका है। यहां से पहले इंजनों को सड़क परिवहन के माध्यम से मुंबई सी-पोर्ट भेजा जाएगा। वहां से दोनों कार्गो जहाज से मोजांबिक रवाना किए जाएंगे। बरेका अब तक 11 देशों को 174 रेल इंजन निर्यात कर चुका है।वर्ष के आरंभ में वहां से 10 इंजन बनाने का अनुबंध हुआ था। जबकि जून तक केवल दो इंजन ही निर्यात हो सके हैं। बरेका का दावा है कि दिसंबर तक सभी इंजन निर्यात हो जाएंगे। बरेका के मुताबिक ये इंजन बिजली और डीजल से भी चलाए जा सकते हैं।
चालक की सुविधाओं से युक्त है इंजन : इंजन में चालक के लिए भी कई विशेष सुविधाएं प्रदान की गई हैं। रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर, शौचालय आदि की सुविधा है। मोजांबिक को इन इंजनों की आपूर्ति से भारत की इंजीनियरिंग क्षमता, आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी को एक नई ऊंचाई मिली है। अब तक बरेका भारतीय रेलवे, इस्पात संयंत्रों, खानों, बंदरगाहों और निर्यात के लिए 10,000 से अधिक रेल इंजन बना चुका है। जनवरी 1976 में पहला रेल इंजन तंजानिया को निर्यात किया गया।बरेका में निर्मित रेल इंजन विदेश भेजे जाएं। यही प्रयास है। जिस देश से भी अनुबंध होता है। निर्धारित समय सीमा में यहां निर्मित इंजन वहां भेज दिए जाए। – नरेश पाल सिंह, महाप्रबंधक, बरेका, वाराणसी