पछवादून के सेलाकुई स्थित भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईआईएसडब्ल्यूसी) में प्रदेश का पहला ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र और बिक्री काउंटर खुल गया है। यहां 12वीं पास युवाओं को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्नत कृषि और आपदा बचाव में भी ड्रोन की मदद ली जाएगी। आईआईएसडब्ल्यूसी के मुताबिक यह रोजगार के अवसर पैदा करने, सतत कृषि और ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम होने जा रहा है।जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर और पछवादून कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहां किसान लगातार उन्नत कृषि की संभावनाओं तलाशते रहते हैं। उन्नत कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बड़ी पहल की गई है। बुधवार को आईआईएसडब्ल्यूसी में आईसीएआर नई दिल्ली के उप महानिदेशक (एनआरएम) डॉ. सुरेश कुमार चौधरी ने प्रदेश के पहले ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र व सूचना एवं बिक्री काउंटर का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि कृषि में ड्रोन के क्रांतिकारी उपयोग से रोजगार सृजन के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होगा। ड्रोन का उपयोग उबड़-खाबड़ भू-भाग, श्रमिकों की कमी और संसाधनों के प्रभावी उपयोग जैसी समस्याओं का समाधान कर सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कृषि की सभी समस्याओं का समाधान ड्रोन से नहीं हो सकता।
आईसीएआर-सीआईटीएच श्रीनगर के निदेशक डॉ. महेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि हिमालयी राज्यों के लोगों के लिए ड्रोन पायलट प्रशिक्षण का खुलना एक अद्वितीय पहल है। आईसीएआर-वीपीकेएएस अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने पहाड़ी कृषि पर अपने अनुभव साझा किए। आईआईएसडब्ल्यूसी की निदेशक डॉ. एम. मधु ने कहा कि ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र डोर्नियर एविएशन नई दिल्ली के सहयोग से स्थापित किया गया है। डोर्नियर एविएशन के सीईओ आरएस सिंह ने कहा कि यह उनकी कंपनी का तीसरा ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र है। यह केंद्र नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से मान्यता प्राप्त है। बिना प्रशिक्षण और लाइसेंस के देश में कोई भी व्यक्ति ड्रोन नहीं उड़ा सकता है। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान दीपा तोमर ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान 50 किसान, 20 उद्यमी, राज्य सरकार के अधिकारी, नाबार्ड, कृषि विज्ञान केंद्र के सदस्य, स्थानीय अकादमिक संस्थान, आईआईएसडब्ल्यूसी के वैज्ञानिक, कर्मचारी उपस्थित रहे। डॉ. पीआर ओजस्वी और डॉ. एम. शंकर ने सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया।