दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई राज्यों में वायु प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के चलते राज्य सरकारों ने इसे रोकने के लिए कई तरह के प्रतिबंधों का एलान किया है। इनमें एक प्रतिबंध ग्रेडेड एक्शन रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल (ग्रैप) के लेवल 3 के तहत लगाया गया है। इसके चलते खराब वायु गुणवत्ता झेल रहे राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में निर्माण कार्यों पर भी रोक लगी है। इस स्थिति में लाखों की संख्या में मजदूरों से उनका रोजगार छिन गया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए ग्रैप-4 लागू करने वाली राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि ऐसे मजदूरों को गुजारा भत्ता दिलाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में ग्रैप-3 लागू है और इन सरकारों को मजदूरों को निर्वाह भत्ता देने के लिए कहा गया है। साथ ही इन्हें वायु प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने और इन कदमों की लगातार समीक्षा करने का भी आदेश दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि वायु प्रदूषण से जुड़े मसले मासिक आधार पर लिस्ट किए जाएं। कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए किसी भी तरह के बेहतर कदमों का स्वागत है। हालांकि, अधिकारियों को यह कदम सभी पक्षों और हितधारकों को ध्यान में रखते हुए लेने होंगे।







