एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलेठा ने कहा कि पेड़ अपनी जड़ प्रणाली के माध्यम से भूजल को संतुलित करने में मदद करते हैं। देहरादून पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है और कई इलाकों में टैंकरों से आपूर्ति की जा रही है। कंक्रीटीकरण में वृद्धि के साथ, हमारे शहर में ताप द्वीप का प्रभाव बहुत स्पष्ट है। समय की मांग है कि हमारे मौजूदा वनों का संरक्षण किया जाए, नए पेड़ लगाए जाएं और शहर के भीतर कम कंक्रीटीकरण किया जाए। बलभद्र खलंगा समिति के अध्यक्ष कर्नल विक्रम सिंह थापा ने कहा कि इस लड़ाई को हम जरूर जीतेंगे। यह लड़ाई सड़कों पर लड़ने के साथ न्यायालय के माध्यम से भी हम लड़ेंगे। कार्यक्रम में जनगीत गा कर पेड़ों को बचाने की बात कही गई।
खलंगा में डब्ल्यूटीपी प्लांट निर्माण के लिए जिन दो हजार पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया, उन्हें लोगों ने रक्षासूत्र बांधे और उनकी रक्षा का संकल्प लिया। रविवार को बड़ी संख्या में खलंगा युद्ध स्मारक के पास एसएफआई, सिटीजन फॉर ग्रीन दून, नेचर बड़ी दून, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, दून पीपल पेरोग्रेसिव क्लब, बलभद्र खलंगा समिति के नेतृत्व में लोग एकत्र हुए थे।इस दौरान एसएफआई राज्य सचिव हिमांशु चौहान, विज्ञान समिति के अध्यक्ष विजय भट्ट, इंद्रेश नौटियाल, दून पीपल पेरोग्रेसिव क्लब से पीयूष शर्मा, लेखराज, अभिषेक भंडारी, हिमांशु अरोड़ा, पीयूष मुनियाल, अनामिका राज, कनिका, किरण, प्राची, आयुष ध्यानी, मुकुल आदि मौजूद रहे।
कांग्रेस भी मैदान में आई
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर राजीव महर्षि ने सौंग वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के नाम पर खलंगा क्षेत्र में पेड़ों के काटे जाने का विरोध किया। उन्होंने इसे प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी नासमझी बताया। उन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि उनके आंदोलन में कांग्रेस हरसंभव सहयोग देगी, क्योंकि यह सवाल देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।