छठ महापर्व के तीसरे दिन उत्तराखंड में छठ की अनोखी छटा बिखरी। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर कुमाऊं में भी छठ पूर्व पूरे श्रद्धाभाव और उल्लास के साथ मनाया गया। बीते दिन व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ था। पहाड़ से मैदान तक व्रतियों ने छठ घाटों पर जाकर पानी के बहते स्रोतों में खड़े हुए और जब भगवान भास्कर अस्ताचलगामी होने लगे तो उन्हें सायं कालीन अर्घ्य दिया। इस दौरान व्रतियों ने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान पहाड़ से मैदान तक घाटों पर भीड़ उमड़ी रही। सनातन धर्म के इस महापर्व में अस्त होते सूर्य की भी पूजा पूरे विधान से की जाती है। पूर्वा सांस्कृतिक मंच के संस्थापक-महासचिव सुभाष झा ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूर्यास्त के बाद खरना करने का विधान है।
देहरादून में छठ महापर्व को लेकर सुरक्षा से लेकर हर पहलू पर खास इंतजाम किए गए हैं। छठ पूजा के लिए सभी घाटों पर सैकड़ों कार्यकर्ता तैनात हैं। इसके साथ महिला टीम से लेकर चिकित्सकों की टीम भी तैनात की गई है। ऋषिकेश में छठ महापर्व पर त्रिवेणी घाट परपूर्वांचल समुदाय के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। हजारों की संख्या में व्रति यहां पहुंचे और सूर्य भगवान की उपासना की। छठ घाटों की ओर जाते समय श्रद्धालुओं ने कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए जैसे पारंपरिक गीत गाए। शुक्रवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के साथ सूर्योपासना का यह पर्व संपन्न हो जाएगा।