जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 1985 के बाद अब तक दक्षिण-पूर्व एशिया में 800 वर्ग किलोमीटर ग्लेशियर पिघल चुके हैं। इसका असर यह हुआ है कि गंगा और सिंधु नदी का जलस्तर गिर गया है। जम्मू कश्मीर से लेकर उत्तराखंड तक उच्च हिमालयी क्षेत्र में एक हजार से अधिक झीलें बन गई हैं। एक शोध में यह खुलासा हुआ है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग से सेवानिवृत्त और वर्तमान में काठमांडो स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट में हिंदूकुश हिमालय स्प्रिंग असेसमेंट विशेषज्ञ प्रो. पीसी तिवारी ने बताया कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने के साथ ही ग्लेशियरों का पिघलना चुनौती बन रहा है। हिमालय में 37,465 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 9,575 ग्लेशियर फैले हुए हैं।उत्तराखंड में 2857 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 968 ग्लेशियर हैं। गंगा में 25 फीसदी और सिंधु में 55 फीसदी पानी खत्म हो गया है। बर्फ पिघलने से जम्मू-कश्मीर से उत्तराखंड तक के उच्च हिमालयी क्षेत्र में एक हजार से अधिक झीलें बन चुकी हैं। अगर इन झीलों के पानी की निकासी नहीं की गई तो वर्ष 2013 में केदारनाथ जैसी त्रासदी देखने को मिल सकती है।
ऐसे निपटा जा सकेगा
वैश्विक जलवायु परिवर्तन का समाधान ।
वाहनों का कम उपयोग।
झीलों को ग्रीन करने की जरूरत।
कार्बन उत्सर्जन कम करना।