Monday, September 22, 2025
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राजस्व के लिए वन विभाग कर रहा अनदेखा मानसून में पर्यटकों की मस्ती से भंग होगी वन्यजीवों की शांति

कॉर्बेट लैंडस्केप में लगातार खुलते पर्यटन जोन पहले ही वन्यजीवों के वासस्थल में दखलंदाजी कर रहे हैं। ऐसे में अब वन विभाग पर्यटन जोनों को साल भर के लिए खोल रहा है। इससे मानसून सीजन में भी वन्यजीवों को जंगल में जिप्सियों व पर्यटकों का शोर सहना पड़ेगा। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला, झिरना जोन में पहले से ही सालभर जंगल सफारी होती है। पिछले दो साल से गर्जिया जोन को भी साल भर के लिए खोल दिया गया है। इसके पीछे स्थानीय नेचर गाइड व जिप्सियों को रोजगार देने का हवाला दिया गया है।कॉर्बेट पार्क के अधिकारियों के अनुसार वह पार्क के बफर जोन में जंगल सफारी करा रहे हैं। कॉर्बेट पार्क की तर्ज पर ही अब तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने फाटो, हाथीडगर और अल्मोड़ा वन प्रभाग का मोहान पर्यटन जोन भी साल भर के लिए खोल दिया है। यानी इन पर्यटक जोनों में मानसून में भी पर्यटक जंगल सफारी करेंगे। अत्यधिक बारिश होने और रास्ता खराब होने पर ही जोन को बंद किया जाएगा।

पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाए
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार कहते हैं कि बरसात जानवरों का आराम करने का समय होता है। इस समय बरसाती नाले अपने उफान पर होते हैं। पर्यटकों की सुरक्षा के लहजे से भी यह ठीक नहीं है। जंगल इतना घना होता है कि कुछ नजर नहीं आता। ऐसे में वन्यजीवों से नजदीकी संघर्ष का खतरा ज्यादा रहता है। यह हाथियों के मिलन का समय होता है और कई बाघिन अपने छोटे शावकों के साथ होती हैं। ऐसे में उनकी निजता और स्वतंत्र आवाजाही में खलल डालना सही नहीं है।कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन के दस फीसदी क्षेत्र में ही पर्यटन गतिविधियां मानसून सीजन में होती हैं। अत्यधिक बारिश और रास्ते खराब होने पर पर्यटन को बंद किया जाता है। – डॉ. साकेत बडोला, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व

वास स्थलों में बढ़ रही दखलंदाजी
रामनगर के आसपास अब तक 12 पर्यटन जोन खुले हैं। इनमें कॉर्बेट पार्क के ढेला, झिरना, गर्जिया, बिजरानी, ढिकाला और दुर्गादेवी हैं। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के तहत फाटो और हाथीडगर जोन हैं जबकि रामनगर वन प्रभाग में सीतावनी, भंडारपानी और कालाढूंगी पर्यटन जोन हैं। बफर क्षेत्र में लगातार खुलते पर्यटन जोनों से पहले ही वन्यजीवों के वासस्थल में दखलंदाजी बढ़ रही है। राजस्व कमाने के फेर में वन विभाग वन्यजीवों की अनदेखी कर रहा है। वाइल्ड लाइफ को जानने वाले लोगों का कहना है कि बरसात के दिनों में जंगल सफारी नहीं होनी चाहिए। मानसून के दौरान वन्यजीव शांति से स्वच्छंद विचरण करते हैं। इससे उनमें नई ऊर्जा का संचार होता है। जंगल को जिप्सियों और पर्यटकों के शोर से निजात मिलती है। साल भर पर्यटन शुरू होने से वन्यजीव परेशान होंगे।

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