जीवनभर देश सेवा में मुस्तैदी से ड्यूटी करने वाले एक सैन्यकर्मी ने सेवानिवृत्ति के बाद अपना घर बनाने का सपना देखा था लेकिन एक ठेकेदार के चंगुल में ऐसा फंसे कि सालों से बेबस और परेशान हैं। उन्होंने जनवरी 2020 में ठेकेदार के साथ तीन महीने में घर बनाकर देने का अनुबंध किया था लेकिन घर आज तक नहीं बन सका। उनकी गुहार पर जिला उपभोक्ता आयोग ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। ठेकेदार पर 30 हजार रुपये हर्जाना लगाने के साथ 45 दिन के भीतर अधूरा निर्माण कार्य पूरा करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि यदि ठेकेदार आदेश का पालन नहीं करेगा तो उपभोक्ता सिविल इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर निर्माण कार्य में देरी के कारण होने वाले नुकसान का आकलन लगाकर फिर से उपभोक्ता आयोग आ सकता है।
यह शिकायत पौढ़ी गढ़वाल निवासी प्रेम सिंह रावत ने दाखिल की। वह वर्तमान में डोईवाला में रहते हैं। उन्होंने झबरावाला निवासी जब्बार अली नाम के ठेकेदार के साथ आवास निर्माण के लिए 15 लाख रुपये का अनुबंध किया था जिसके अनुसार 10 मार्च 2020 तक भवन निर्माण का काम पूरा करना था। अनुबंध में यह भी शर्त थी कि कार्य समय पर पूरा नहीं होने पर ठेकेदार प्रतिदिन पांच रुपये हर्जाना देगा। प्रेम सिंह ने ठेकेदार को अलग-अलग समय में कुल 14 लाख रुपये का भुगतान कर दिया लेकिन ठेकेदार काम में लगातार देरी करता गया।आखिरकार कार्य अधूरा छोड़ दिया। मकान में खिड़की, दरवाजे, ग्रिल, ममटी, गेट, लैट्रिन-बाथरूम, किचन और चौखट लगने जैसे महत्वपूर्ण कार्य बाकी रह गए। ठेकेदार पर काम पूरा का दबाव डाला तो उसने आगे काम करने से इन्कार कर दिया, धमकी अलग से दी।
पुलिस से लेकर डीएम तक की शिकायत
इस संबंध में पूर्व सैन्यकर्मी ने पुलिस, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी और जिलाधिकारी तक शिकायत की लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अंत में उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग के अध्यक्ष पुष्पेंद्र खरे की पीठ ने ठेकेदार को नोटिस भेजे लेकिन वह पेश नहीं हुआ। ऐसे में अनुबंध पत्र और अन्य दस्तावेज व शिकायतों के आधार पर ठेकेदार को सेवा में कोताही का जिम्मेदार ठहराया।I