दिल्ली, मुंबई समेत अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण से परेशान होने के बाद सुकून के लिए पर्यटकों के पहाड़ों का रुख करने से अनियंत्रित पर्यटन कई मुश्किलें खड़ी कर रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में वाहनों का बढ़ता दबाव हवा की गुणवत्ता पर बुरा असर डाल रहा है। हजारों की संख्या में पर्यटक वाहनों के आने से कैंची धाम में नॉन मीथेन हाइड्रोकार्बन का स्तर 50 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) पहुंच गया है। यह आंकड़ा हल्द्वानी शहर की तुलना में करीब दोगुना है। एरीज (आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान) के शोध में यह खुलासा हुआ है। नैनीताल और कैंचीधाम में बीते कुछ वर्षों में पर्यटकों का दबाव तेजी से बढ़ा है। पर्यटन सीजन के दौरान देशभर के लोग वाहनों के साथ आते हैं जिससे गंदगी के साथ प्रदूषण बढ़ता है। हाल ही में एरीज की ओर से हिमालयी क्षेत्रों में एक कैंपेन चलाया गया। टीम ने जगह-जगह जाकर नॉन मीथेन हाइड्रोकार्बन के स्तर का सर्वे किया। इस दौरान भवाली के प्रसिद्ध कैंची धाम की वायु गुणवत्ता हल्द्वानी से भी खराब पाई गई। बदरीनाथ पार्किंग स्थल पर भी हाइड्रोकार्बन का स्तर 40 से 45 पीपीबी दर्ज किया गया। हल्द्वानी जैसे शहर में नॉन मीथेन हाइड्रोकार्बन का स्तर 25 से 30 पीपीबी है। इससे पता चलता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में वाहनों के दौड़ने से निकलने वाला धुआं यहां की शुद्ध हवा को दूषित कर रहा है।
नॉन मीथेन हाइड्रोकार्बन का स्तर
नैनीताल 05 से15 पीपीबी
हल्द्वानी 25 से 30 पीपीबी
अल्मोड़ा 25 से 30 पीपीबी
कैंचीधाम 50 से 55 पीपीबी
बदरीनाथ पार्किंग 40 से 45 पीपीबी
हाइड्रोकार्बन का स्तर बढ़ने से ये नुकसान
यह वायुमंडल में मिलकर वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। इससे श्वसन, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हाइड्रोकार्बन के रिसाव से जल प्रदूषण हो सकता है जिससे जलीय जीवन को नुकसान पहुंच सकता है। इसके रिसाव से मिट्टी और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंच सकता है।पहाड़ों के परिप्रेक्ष्य में वायुमंडल में नॉन मीथेन हाइड्रोकार्बन के स्तर में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। पेट्रोल, डीजल जैसे ईंधन के जलने से हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन होता है। वाहनों के धुएं में हाइड्रोकार्बन की मात्रा अधिक होती है जो वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ाते हैं। जंगलों में लगने वाली आग भी इसका एक मुख्य कारण है। – डॉ. मनीष नाजा, निदेशक, एरीज







